ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से क्या हासिल हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- ब्रिक्स की पहली बैठक जिसमें नए सदस्य शामिल हुए।
- टैरिफ युद्ध के खिलाफ एकजुटता की आवश्यकता।
- ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन पर महत्वपूर्ण प्रस्ताव।
- रियो घोषणापत्र ने सदस्यों के बीच सहमति को रेखांकित किया।
- वैश्विक मंच पर भारत और ब्राज़ील की महत्वपूर्ण भूमिका।
बीजिंग, 12 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। 7 जुलाई, 2025 को समाप्त हुआ ब्रिक्स का सत्रहवां शिखर सम्मेलन उस समय आयोजित किया गया जब यह संगठन वैश्विक सुर्खियों में है।
ब्रिक्स की यह बैठक विशेष रही, क्योंकि इसमें सभी नये सदस्य जैसे मिस्र, इथियोपिया, यूएई, ईरान और इंडोनेशिया शामिल हुए। हालाँकि सऊदी अरब अभी तक औपचारिक रूप से इस संगठन में शामिल नहीं हुआ है, लेकिन उसने इस बार के शिखर सम्मेलन में भाग लिया।
ब्रिक्स समूह को वैश्विक वित्तीय व्यवस्था का अगला चुनौती के रूप में देखा जा रहा है, और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसका निशाना बनाते रहे हैं, क्योंकि वे इसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में डॉलर के विकल्प के रूप में देखते हैं।
ब्रिक्स समूह की कई आंतरिक चुनौतियाँ भी हैं। इसका असर अप्रैल में दिखा, जब ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक बिना किसी संयुक्त बयान के समाप्त हुई। मार्च में भारत ने स्पष्ट किया कि वह किसी भी रूप में ब्रिक्स के आपसी कारोबार से डॉलर को हटाने पर विचार नहीं कर रहा है।
ट्रंप ने लगातार धमकी दी है कि ब्रिक्स के "अमेरिका-विरोधी रुख" के कारण ब्रिक्स देशों पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा। इससे ब्रिक्स में उहापोह की स्थिति है। ऐसे मसले पर ब्रिक्स से उम्मीद की जा रही है कि वह इस टैरिफ युद्ध के खिलाफ एकमत होकर सामने आएगा। हालाँकि, भारत की दुविधा यह है कि वह अमेरिका से टैरिफ को लेकर जो बातचीत कर रहा है, वह अंतिम दौर में है।
इन सभी चुनौतियों के बावजूद, रियो घोषणापत्र ने ब्रिक्स सदस्यों के बीच कई मुद्दों पर बुनियादी एकजुटता और आम सहमति को रेखांकित किया है। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के संयुक्त वक्तव्य में, गाजा पर हमलों और परमाणु सुरक्षा के खतरे को देखते हुए भी ईरान पर हमलों की कड़ी निंदा की गई।
भारत और ब्राज़ील वैश्विक मंच पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए सहमत हुए हैं। ग्लोबल साउथ के देशों के लिए साझा दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए शिखर सम्मेलन में कई अवसर प्रदान करने पर सहमति बनी।
इसमें ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और विश्व व्यापार संगठन को पुनर्व्यवस्थित करने पर कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव शामिल किए गए। रियो घोषणापत्र की एक बड़ी उपलब्धि अमेरिकी टैरिफ युद्ध के खिलाफ कड़ा रुख अपनाना है।
(साभार- चाइन मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)