क्या नौशेरा के शेर ब्रिगेडियर उस्मान को श्रद्धांजलि दी गई?

सारांश
Key Takeaways
- ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान ने अद्वितीय साहस का परिचय दिया।
- उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
- उनकी कब्र दिल्ली में है।
- श्रद्धांजलि समारोह में कई सैन्य अधिकारी शामिल हुए।
- उनका बलिदान प्रेरणा का स्रोत है।
नई दिल्ली, 3 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान, जिन्हें नौशेरा के शेर के नाम से जाना जाता है, ने 1947-48 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान जम्मू-कश्मीर के झांगर और नौशेरा को पुनः प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 3 जुलाई 1948 को उनकी वीरता और बलिदान को याद करते हुए, वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
जम्मू-कश्मीर में नौशेरा के रक्षक माने जाने वाले ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। उनके पुण्यतिथि पर सेना ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। यह श्रद्धांजलि दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के कब्रिस्तान में अर्पित की गई।
सेना के अनुसार, यह समारोह देश के उन बहादुर सपूतों को याद करने का अवसर था, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर राष्ट्र की रक्षा की और इतिहास में अमर हो गए।
ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान की कब्र दिल्ली में जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित है।
गुरुवार को भारतीय सेना के महानिदेशक (ऑपरेशनल लॉजिस्टिक्स एंड स्ट्रैटेजिक मूवमेंट), लेफ्टिनेंट जनरल पुष्पेंद्र सिंह ने पुष्पचक्र अर्पित कर वीर शहीद को श्रद्धांजलि दी। सेनाध्यक्ष की ओर से भी पुष्पचक्र अर्पित किया गया। समारोह में कई सेवारत और सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों ने भी भाग लिया और अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित किए। इस अवसर पर सेना, शिक्षाविदों, और समाज के अन्य लोगों ने ब्रिगेडियर उस्मान की कर्तव्यपरायणता को याद किया।
ब्रिगेडियर उस्मान ने व्यक्तिगत वीरता, अद्वितीय नेतृत्व क्षमता और कर्तव्य के प्रति समर्पण की एक मिसाल पेश की, जो भारतीय सेना की उच्चतम परंपराओं का प्रतीक है। भारत सरकार द्वारा उन्हें मरणोपरांत 'महावीर चक्र' से सम्मानित किया गया था।