क्या सीबीआई को मिली बड़ी सफलता: मोनिका कपूर का अमेरिका से प्रत्यर्पण?

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क्या सीबीआई को मिली बड़ी सफलता: मोनिका कपूर का अमेरिका से प्रत्यर्पण?

सारांश

केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 23 साल से फरार मोनिका कपूर को अमेरिका से भारत लाने में सफलता पाई है। यह मामला एक बड़े आयात-निर्यात घोटाले से जुड़ा है, जिसमें मोनिका ने अपने भाइयों के साथ मिलकर धोखाधड़ी की थी। इस मामले में सीबीआई की मेहनत रंग लाई है।

Key Takeaways

  • सीबीआई ने 23 साल से फरार मोनिका कपूर को अमेरिका से भारत लाया।
  • मोनिका कपूर और उनके भाइयों ने मिलकर आयात-निर्यात घोटाले को अंजाम दिया।
  • इस मामले में सीबीआई की मेहनत और प्रयास सफल रहे।
  • मोनिका कपूर को अदालत में पेश किया जाएगा।
  • सीबीआई आर्थिक अपराधों के खिलाफ प्रतिबद्ध है।

नई दिल्ली, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, जिससे करीब 23 साल से फरार मोनिका कपूर को अमेरिका से भारत लाना संभव हुआ है। सीबीआई की टीम आयात-निर्यात घोटाले में आरोपी मोनिका को अमेरिका से भारत लाने में सफल रही है।

सीबीआई पिछले दो दशकों से मोनिका कपूर की तलाश कर रही थी, और अब उसका यह प्रयास सफल रहा है। सीबीआई ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "दो दशक के प्रयास के बाद आयात-निर्यात घोटाले में वांछित आरोपी मोनिका कपूर को अमेरिका से सफलतापूर्वक प्रत्यर्पित कर लिया गया है।"

जांच एजेंसी के अनुसार, मोनिका कपूर ने अपने भाइयों राजन खन्ना और राजीव खन्ना के साथ मिलकर एक धोखाधड़ी योजना बनाई थी। उन्होंने फर्जी शिपिंग बिल, चालान और बैंक प्रमाणपत्र बनाकर एक बड़ी आयात-निर्यात धोखाधड़ी को अंजाम दिया।

मोनिका ने फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से 6 रिप्लेनिशमेंट लाइसेंस प्राप्त किए, जिससे उसे 2.36 करोड़ रुपये मूल्य का ड्यूटी-फ्री सोना आयात करने की अनुमति मिली।

सीबीआई ने बताया कि ये लाइसेंस अहमदाबाद की एक फर्म 'दीप एक्सपोर्ट्स' को बेचे गए थे, जिसने उनका इस्तेमाल करके ड्यूटी-फ्री सोना मंगवाया। इससे 1998 में सरकारी खजाने को 1.44 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

सीबीआई ने इस मामले की जांच पूरी कर 31 मार्च 2004 को मोनिका कपूर, राजन खन्ना और राजीव खन्ना के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। साकेत कोर्ट ने 20 दिसंबर 2017 को राजन और राजीव खन्ना को दोषी ठहराया।

हालांकि, मोनिका कपूर इस दौरान जांच और सुनवाई में शामिल नहीं हुईं, जिसके कारण 13 फरवरी 2006 को अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया। 26 अप्रैल 2010 को मोनिका के खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट और इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया।

सीबीआई के अनुसार, 19 अक्टूबर 2010 को अमेरिकी अधिकारियों से प्रत्यर्पण का अनुरोध किया गया। कई वर्षों की कानूनी प्रक्रिया के बाद, हाल ही में सीबीआई की एक टीम ने अमेरिका जाकर मोनिका कपूर को हिरासत में लिया।

अब सीबीआई की टीम मोनिका कपूर को लेकर भारत लौट रही है। सीबीआई ने कहा कि मोनिका कपूर को संबंधित अदालत में पेश किया जाएगा और उनके खिलाफ मुकदमा चलेगा।

प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि सीबीआई आर्थिक अपराधों के खिलाफ अपनी लड़ाई में प्रतिबद्ध है और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की परवाह किए बिना भगोड़ों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए सभी कानूनी उपाय अपनाती रहेगी।

Point of View

जो यह सिद्ध करता है कि भारत में आर्थिक अपराधों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, चाहे अपराधी कितने भी समय तक छिपे रहें। यह हमारी न्यायिक प्रणाली की मजबूती का प्रतीक है।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

मोनिका कपूर कौन हैं?
मोनिका कपूर एक आरोपी हैं, जो आयात-निर्यात घोटाले में शामिल थीं और 23 साल से फरार थीं।
सीबीआई ने मोनिका कपूर को कब गिरफ्तार किया?
सीबीआई ने मोनिका कपूर को हाल ही में अमेरिका से भारत लाने में सफलता प्राप्त की है।
क्या मोनिका कपूर के खिलाफ पहले कोई कार्रवाई हुई थी?
हाँ, मोनिका कपूर के खिलाफ 31 मार्च 2004 को चार्जशीट दाखिल की गई थी।
मोनिका कपूर के साथ और कौन-कौन थे?
मोनिका कपूर के साथ उनके भाई राजन खन्ना और राजीव खन्ना भी शामिल थे।
इस घोटाले में कितना नुकसान हुआ था?
इस घोटाले के कारण सरकारी खजाने को 1.44 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।