क्या सीबीआई ने 7 साल बाद बैंक धोखाधड़ी मामले में आरोपी को गिरफ्तार किया?

सारांश
Key Takeaways
- सीबीआई ने 7 साल बाद आरोपी को गिरफ्तार किया।
- आरोपियों ने सिंडिकेट बैंक को 12.63 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया।
- नसरीन ताज ने पहचान बदलकर खुद को छिपाए रखा।
- तकनीक ने गिरफ्तारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- कानून प्रवर्तन की क्षमताओं में वृद्धि हुई है।
मांड्या, 21 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बड़े बैंक धोखाधड़ी मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को एक बड़ी सफलता मिली है। इस मामले में, सीबीआई ने सात वर्षों से फरार चल रही आरोपी नसरीन ताज को गिरफ्तार किया।
सीबीआई ने 15 अप्रैल 2009 को सिंडिकेट बैंक, मांड्या शाखा के तत्कालीन शाखा प्रबंधक असदुल्लाह खान और अन्य 8 आरोपियों के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी, जालसाजी और जाली दस्तावेजों का उपयोग करके बैंक को धोखा देने का मामला दर्ज किया था।
आरोपियों ने मिलकर सिंडिकेट बैंक को 12.63 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने की योजना बनाई थी। नसरीन ताज के पास कोई आय का स्रोत नहीं था, फिर भी उसने अपने पति असदुल्लाह खान और अन्य के साथ मिलकर धोखाधड़ी से 1.2 करोड़ रुपए की टेंपरेरी ओवरड्राफ्ट (टीओडी) सुविधा और 55 लाख रुपए का कृषि लोन हासिल किया।
इस राशि को कृषि विकास में उपयोग करने के बजाय, उसने इसे टीओडी के पुनर्भुगतान में अवैध तरीके से लगा दिया।
सीबीआई ने 12 अक्टूबर 2010 को आरोप पत्र दाखिल किया, जिसमें नसरीन ताज को धोखाधड़ी और जालसाजी करने वाले षड्यंत्रकारियों में से एक नामित किया। वह 2019 से लापता थीं, और उनके खिलाफ 30 अप्रैल 2019 से कई गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी किए गए थे।
बेंगलुरु की विशेष अदालत ने 27 नवंबर 2021 को उनके विरुद्ध संपत्ति की उद्घोषणा और कुर्की वारंट जारी करने का आदेश दिया। वर्षों तक नसरीन ताज का कोई पता नहीं चला, जबकि अन्य सह-आरोपियों पर मुकदमा चलाया गया।
नसरीन ताज ने जानबूझकर अपने पति, परिवार और सामाजिक नेटवर्क से संपर्क तोड़ लिया था। वह बार-बार अपने स्थान बदल रही थी और स्थानीय निवासियों को अपनी वास्तविक पहचान के बारे में गुमराह कर रही थी, जिससे उसका पता लगाना मुश्किल हो गया था।
सीबीआई ने उन्नत तकनीकी उपकरणों और पहचान ट्रैकिंग डेटाबेस का इस्तेमाल किया और उसके डिजिटल फुटप्रिंट का विश्लेषण करके उसका पता लगाया। अंततः, बेंगलुरु में सलमा के नाम से रह रही नसरीन ताज को गिरफ्तार कर लिया गया और उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
यह मामला इस बात का एक बेहतरीन उदाहरण है कि कैसे तकनीक और जमीनी स्तर पर जांच अधिकारियों के प्रयासों के साथ लंबे समय से फरार अपराधियों को पकड़ने में कानून प्रवर्तन की क्षमताओं में वृद्धि हो सकती है।