क्या सीबीआई ने भगोड़े हर्षित बाबूलाल जैन को यूएई से वापस लाने में सफलता हासिल की?

सारांश
Key Takeaways
- सीबीआई की महत्वपूर्ण सफलता
- भगोड़े की गिरफ्तारी से कानून व्यवस्था में मजबूती
- गुजरात पुलिस और अन्य मंत्रालयों का सहयोग
- इंटरपोल का प्रभावी उपयोग
- रिश्वतखोरी के खिलाफ सख्त कार्रवाई
नई दिल्ली, 5 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने गुजरात पुलिस, विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के सहयोग से एक महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की। केंद्रीय जांच एजेंसी ने यूएई से वांछित भगोड़े हर्षित बाबूलाल जैन का प्रत्यर्पण कराया।
टैक्स चोरी, अवैध जुआ और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में हर्षित बाबूलाल जैन वांछित था। इससे पहले, सीबीआई ने गुजरात पुलिस के अनुरोध पर 9 अगस्त 2023 को इंटरपोल के माध्यम से उसके खिलाफ रेड नोटिस जारी करवाया था। आरोपी को यूएई से भारत लाया गया और अहमदाबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर शुक्रवार को उसे गुजरात पुलिस को सौंप दिया गया।
इंटरपोल की तरफ से वांछित भगोड़ों की निगरानी के लिए दुनिया भर की सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को रेड नोटिस भेजे जाते हैं।
सीबीआई, जो देश में इंटरपोल के लिए राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो के रूप में कार्य करती है, भारतपोल के माध्यम से सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय करती है। पिछले कुछ वर्षों में, इंटरपोल चैनलों के माध्यम से समन्वय करके 100 से अधिक वांछित अपराधियों को भारत वापस लाया गया है।
इससे पहले, सीबीआई ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के ग्रामीण बैंक, चंदौसी शाखा के प्रबंधक और फील्ड ऑफिसर को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। दोनों अधिकारी शिकायतकर्ता से 30 हजार रुपए की अवैध मांग कर रहे थे।
सीबीआई ने 2 सितंबर को दर्ज मामले में बताया कि शिकायतकर्ता और उसकी बहन चंदौसी में रेडीमेड कपड़ों की दुकान चलाते हैं। व्यापार विस्तार के लिए शिकायतकर्ता की बहन ने मुख्यमंत्री युवा रोजगार योजना के तहत 3 लाख रुपए के ऋण के लिए आवेदन किया था। बैंक ने 2.70 लाख रुपए का ऋण मंजूर किया, जिसमें से 1,82,500 रुपए जारी कर दिए गए, लेकिन शेष राशि रोक दी गई।
शिकायत में आरोप था कि फील्ड ऑफिसर ने शेष राशि जारी करने के लिए 35 हजार रुपए की रिश्वत मांगी। जांच में सामने आया कि यह मांग शाखा प्रबंधक की मिलीभगत से की गई थी। बाद में दोनों अधिकारियों ने रिश्वत की राशि घटाकर 30 हजार करने पर सहमति जताई।