क्या सीबीआई कोर्ट ने लोन धोखाधड़ी मामले में तीन आरोपियों को तीन साल की सजा सुनाई?

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क्या सीबीआई कोर्ट ने लोन धोखाधड़ी मामले में तीन आरोपियों को तीन साल की सजा सुनाई?

सारांश

सीबीआई की विशेष अदालत ने अहमदाबाद में एक लोन धोखाधड़ी मामले में तीन आरोपियों को तीन साल की सजा सुनाई है। यह मामला 2013 में शुरू हुआ था, जिसमें आरोपियों ने जाली दस्तावेजों के माध्यम से लोन प्राप्त किया। अदालत ने इस निर्णय से यह संकेत दिया है कि ऐसे अपराधों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

Key Takeaways

  • सीबीआई कोर्ट ने लोन धोखाधड़ी में तीन आरोपियों को दोषी ठहराया।
  • अधिकारी पर 50,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया।
  • फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से लोन लेने का प्रयास किया गया।
  • सूरत को लाखों का नुकसान हुआ।
  • अदालत ने सख्त कार्रवाई का संकेत दिया।

अहमदाबाद, 24 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। लोन धोखाधड़ी के एक मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने अहमदाबाद में तीन आरोपियों को दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा और जुर्माना सुनाया है।

अदालत ने मैसर्स ए-वन इंटरनेशनल के प्रोपराइटर अंकुश मधुभाई नकरानी और मैसर्स जेमिश टेक्सटाइल्स प्राइवेट लिमिटेड के दोनों डायरेक्टर अशोकभाई मनजीभाई कथारोटिया और हिम्मत नागजीभाई वड्डोरिया को दोषी माना। अदालत ने प्रत्येक आरोपी पर 50,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया।

इसके अलावा, प्राइवेट कंपनी मैसर्स जेमिश टेक्सटाइल प्राइवेट लिमिटेड को भी दोषी ठहराते हुए 50,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया।

सीबीआई ने यह मामला 20 नवंबर 2013 को दर्ज किया था। आरोप था कि आरोपी अंकुश नकरानी ने जाली बिल ऑफ एंट्री और अन्य आयात दस्तावेज तैयार कर टेक्सटाइल मशीनरी के आयात का दिखावा किया। इस आधार पर उन्होंने सूरत से लगभग दो करोड़ रुपए का लोन आवेदन किया और उसे मंजूर करवाया।

जांच में यह सामने आया कि अंकुश नकरानी ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर यह फर्जीवाड़ा किया। उन्होंने मशीनरी की कोई असली आयात किए बिना लोन लिया और उस रकम को अपने लाभ के लिए डायवर्ट किया। इस धोखाधड़ी से सूरत को कुल 63,12,474 रुपये का नुकसान हुआ।

जांच पूरी होने के बाद, सीबीआई ने 31 दिसंबर 2014 को अंकुश नकरानी, जेमिश टेक्सटाइल प्राइवेट लिमिटेड, और दोनों डायरेक्टरों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। अदालत ने जांच में प्रस्तुत सबूतों और दस्तावेजों के आधार पर सभी आरोपियों को दोषी पाया।

अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि बैंकिंग और वित्तीय धोखाधड़ी गंभीर अपराध हैं और ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस फैसले से यह संदेश जाता है कि फर्जी दस्तावेज और धोखाधड़ी के जरिए लोन लेने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई निश्चित रूप से की जाएगी।

Point of View

यह स्पष्ट है कि बैंकिंग और वित्तीय धोखाधड़ी जैसे अपराधों के प्रति सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है। यह निर्णय न केवल न्याय की जीत है, बल्कि समाज में वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा देने का भी कार्य करता है।
NationPress
24/12/2025

Frequently Asked Questions

सीबीआई कोर्ट ने आरोपियों को कितनी सजा सुनाई?
सीबीआई कोर्ट ने आरोपियों को तीन साल की सजा सुनाई।
क्या आरोपियों पर जुर्माना लगाया गया?
हाँ, प्रत्येक आरोपी पर 50,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया।
यह मामला कब दर्ज किया गया था?
यह मामला 20 नवंबर 2013 को दर्ज किया गया था।
इस धोखाधड़ी से सूरत को कितना नुकसान हुआ?
इस धोखाधड़ी से सूरत को कुल 63,12,474 रुपये का नुकसान हुआ।
अदालत ने इस मामले में क्या कहा?
अदालत ने कहा कि बैंकिंग और वित्तीय धोखाधड़ी गंभीर अपराध हैं और सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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