क्या सीबीआई ने रिवर्स ट्रैप ऑपरेशन में 22 लाख की रिश्वत के मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया?

सारांश
Key Takeaways
- सीबीआई की कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी सफलता है।
- ईमानदार लोक सेवकों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
- रिवर्स ट्रैप ऑपरेशन ने भ्रष्टाचार को उजागर किया।
- सीबीआई की प्रतिबद्धता प्रशासन में पारदर्शिता की दिशा में है।
नई दिल्ली, 2 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एक महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए एक दुर्लभ रिवर्स ट्रैप ऑपरेशन में जीएसटी खुफिया विभाग के एक अधीक्षक को रिश्वत देने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
इस मामले में, दो व्यक्तियों ने जीएसटी खुफिया विभाग के एक अधीक्षक को 22 लाख रुपए की रिश्वत देने का प्रयास किया। सीबीआई ने इस रिवर्स ट्रैप ऑपरेशन में दोनों आरोपियों को रंगे हाथों पकड़ा। यह घटना 2 सितंबर 2025 को सामने आई, जब जीएसटी खुफिया निदेशालय के एक ईमानदार अधीक्षक ने रिश्वत की पेशकश की जानकारी सीबीआई को दी।
यह अधिकारी कई ऑनलाइन कंपनियों द्वारा कथित कर चोरी की जांच कर रहा था। इस दौरान, दो निजी व्यक्तियों ने कर चोरी के मामले में राहत देने के बदले रिश्वत की पेशकश की। अधिकारी ने अपनी पेशेवर और नैतिक जिम्मेदारी को निभाते हुए तुरंत सीबीआई में शिकायत दर्ज की। इसके बाद, सीबीआई ने एक सावधानीपूर्वक रिवर्स ट्रैप ऑपरेशन की योजना बनाई, जिसमें रिश्वत देने वालों को पकड़ा गया। इस अभियान के अंतर्गत दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तारी के बाद, सीबीआई ने आरोपियों से जुड़े विभिन्न ठिकानों पर तलाशी शुरू की। इस व्यापक तलाशी अभियान के दौरान जांच एजेंसी को रिश्वतखोरी और कर चोरी से संबंधित महत्वपूर्ण सबूत मिलने की उम्मीद है। सीबीआई के इस ऑपरेशन को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है।
यह घटना ईमानदार लोक सेवकों की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करती है। जीएसटी अधीक्षक की सतर्कता और नैतिकता ने न केवल भ्रष्टाचार को उजागर किया, बल्कि सीबीआई को त्वरित कार्रवाई करने में भी मदद की। यह मामला भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में लोक सेवकों की प्रतिबद्धता का एक जीवंत उदाहरण है।
सीबीआई ने स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐसी कार्रवाइयां आगे भी जारी रहेंगी, ताकि प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।