क्या पादहस्तासन मानसिक तनाव को दूर करने में सहायक है? रोजाना करने से क्या कमाल दिखता है?
सारांश
Key Takeaways
- पादहस्तासन मानसिक तनाव को कम करता है।
- यह पेट की मांसपेशियों की मालिश करता है।
- इससे पाचन तंत्र सक्रिय रहता है।
- यह रीढ़ को राहत देता है।
- नियमित अभ्यास से ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।
नई दिल्ली, ८ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत की प्राचीन संस्कृति में योग के कई आसन हैं, जो न केवल शरीर को लचीला बनाते हैं, बल्कि मन को भी हल्का और शांत रखते हैं। इनमें से एक आसन है 'पादहस्तासन'। यह आसन पेट की मांसपेशियों की अच्छी तरह से मालिश करता है, जिससे पाचन तंत्र सक्रिय रहता है और अपच तथा पेट से संबंधित समस्याएं नहीं होतीं।
प्राचीन मान्यता के अनुसार, पादहस्तासन सूर्य नमस्कार का एक हिस्सा रहा है, जिसे सूर्य की ऊर्जा ग्रहण करने और शरीर में प्राणशक्ति बढ़ाने के लिए किया जाता था। इस आसन के दौरान शरीर को पृथ्वी की ओर झुकाना होता है। योग विशेषज्ञों के अनुसार, इसे नियमित रूप से करने से न केवल शारीरिक लचीलापन बढ़ता है, बल्कि मानसिक तनाव भी कम होता है। आधुनिक जीवनशैली में, जहां हम अधिकतर समय मोबाइल या कंप्यूटर के सामने झुके रहते हैं, यह आसन रीढ़ को राहत देता है और शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाता है।
इस आसन का नियमित अभ्यास करने के लिए योगा मैट पर घुटनों के बल बैठें। एड़ियां बाहर की ओर और कूल्हे एड़ियों पर टिकाएं। हथेलियों को जांघों पर रखें और अपनी रीढ़ को सीधा रखें। सामान्य सांस लेते हुए ५-१० मिनट तक इस मुद्रा में रहना चाहिए।
आयुष मंत्रालय के अनुसार, पादहस्तासन मासिक धर्म की तकलीफों से राहत दिलाता है, जिससे शरीर को संतुलन और ऊर्जा मिलती है। इसे करते समय अपनी क्षमता का ध्यान रखना और जबरदस्ती खिंचाव से बचना चाहिए।
यह आसन सिर की ओर रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है, जो मस्तिष्क और आंखों के लिए अच्छा है। साथ ही, यह मन को शांत करने और तनाव को दूर करने में सहायक है।
योगासन करते समय हमेशा अपनी क्षमता पर ध्यान दें। जबरदस्ती या जरूरत से ज्यादा खिंचाव शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए हर व्यक्ति को अपनी सुविधा और गति के अनुसार ही योग करना चाहिए।