क्या सुप्रीम कोर्ट ने इंडिगो एयरलाइंस संकट वाली याचिका को जल्द सुनने से किया इनकार?

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क्या सुप्रीम कोर्ट ने इंडिगो एयरलाइंस संकट वाली याचिका को जल्द सुनने से किया इनकार?

सारांश

सुप्रीम कोर्ट ने इंडिगो एयरलाइंस संकट से संबंधित याचिका को सुनने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि पहले ही समय पर कार्रवाई की गई है, जबकि लाखों यात्री इस संकट से प्रभावित हुए हैं। जानिए और क्या कुछ हुआ है इस संदर्भ में।

Key Takeaways

  • इंडिगो की उड़ानें बड़े पैमाने पर रद्द हो रही हैं।
  • सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को सुनने से इनकार किया।
  • यात्री संकट में हैं, उन्हें उचित सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।
  • सरकार को इस मुद्दे पर जल्दी से कार्रवाई करनी चाहिए।
  • मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।

नई दिल्ली, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो की उड़ानों के बड़े पैमाने पर रद्द होने की स्थिति में, सुप्रीम कोर्ट ने प्रस्तुत याचिका को जल्द सुनने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस मामले का पहले ही संज्ञान लिया गया है और समय पर उचित कार्रवाई की गई है।

चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह सच है कि लाखों यात्रियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। कई लोगों के महत्वपूर्ण कार्य प्रभावित हुए हैं, लेकिन सरकार इस मुद्दे को देख रही है और उन्हें संभालने दें। उन्होंने यह भी कहा कि हम एयरलाइन का संचालन नहीं कर सकते। भारत सरकार ने पहले ही इस संकट का संज्ञान

इंडिगो संकट अब छठे दिन में प्रवेश कर चुका है। आज भी 200 से अधिक उड़ानें रद्द की गईं और कई उड़ानें विलंबित हैं। दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, बेंगलुरु समेत पूरे देश के हवाई अड्डों पर यात्रियों को भरी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

बीते दिन, सुप्रीम कोर्ट के वकील नरेंद्र मिश्रा ने सीजेआई को पत्र लिखकर इस संकट पर स्वतः संज्ञान लेने और मामले में तात्कालिक हस्तक्षेप की मांग की थी।

पत्र के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया था कि इंडिगो ने पिछले कुछ दिनों में 1,000 से अधिक उड़ानें रद्द की हैं और गंभीर देरी के कारण लाखों यात्री देशभर के हवाई अड्डों पर फंसे हुए हैं, जिससे एक मानवीय संकट उत्पन्न हो गया है।

मिश्रा ने इसे यात्रियों के मौलिक अधिकार, विशेषकर अनुच्छेद 21 (जीवन और गरिमा का अधिकार), का गंभीर उल्लंघन मानते हुए सुप्रीम कोर्ट से त्वरित हस्तक्षेप की अपील की थी।

वकील नरेंद्र मिश्रा द्वारा भेजी गई इस विस्तृत याचिका में कहा गया था कि छह बड़े मेट्रो शहरों में एयरलाइन का ऑन-टाइम परफॉर्मेंस 8.5 प्रतिशत तक गिर गया था। हजारों यात्री, जिनमें बुजुर्ग, बच्चे, दिव्यांग और बीमार लोग शामिल हैं, घंटों तक हवाई अड्डों पर फंसे रहे, जिससे उन्हें कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

हवाई अड्डों पर खाने-पीने, आराम, कपड़े, दवाइयों और रहने की बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं थीं, जबकि एयरलाइन ने खुद स्वीकार किया था कि उसके पास पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। अनेक मामलों में आपातकालीन चिकित्सा आवश्यकताओं की भी अनदेखी की गई।

याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि इस मामले में तुरंत स्वतः संज्ञान लिया जाए और इसे पीआईएल के रूप में स्वीकार किया जाए। एक विशेष बेंच गठित कर तुरंत सुनवाई की जाए। इंडिगो को यह आदेश दिया जाए कि वह मनमाने रद्दीकरण रोके, सुरक्षित तरीके से सेवाएं बहाल करे और सभी फंसे यात्रियों को मुफ्त वैकल्पिक व्यवस्था प्रदान करे।

Point of View

NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

सुप्रीम कोर्ट ने इंडिगो संकट पर क्या निर्णय लिया?
सुप्रीम कोर्ट ने इंडिगो एयरलाइंस संकट की याचिका को जल्द सुनने से इनकार कर दिया है।
क्या इंडिगो की उड़ानें अभी भी रद्द हो रही हैं?
जी हां, इंडिगो की उड़ानें अभी भी बड़े पैमाने पर रद्द हो रही हैं।
इस संकट में यात्रियों के अधिकारों का क्या होगा?
यात्री मौलिक अधिकारों का उल्लंघन महसूस कर रहे हैं और उन्हें उचित सुविधा दी जानी चाहिए।
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