क्या मशीन खराब होने से चाईबासा सदर अस्पताल में बच्चों की मौत हुई? - राकेश सिन्हा
सारांश
Key Takeaways
- चाईबासा सदर अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों की गंभीर हालत।
- सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं में प्रगति का दावा किया।
- मशीन की खराबी को हादसे का कारण बताया गया।
- छह सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया है।
- हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए।
रांची, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के चाईबासा सदर अस्पताल में थैलेसीमिया से ग्रसित पांच बच्चों के एचआईवी पॉजिटिव पाए जाने की घटना के खुलासे ने सियासत को गर्म कर दिया है। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी राकेश सिन्हा ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रगति की है, लेकिन मशीन खराब होने से यह हादसा हुआ।
राकेश सिन्हा ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा, "जब से हमारी सरकार सत्ता में आई है, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार लगातार हो रहा है। अधिकारी की लापरवाही ने इस गंभीर घटना को जन्म दिया है। सरकार केवल मशीनें खरीदकर अस्पताल को सौंपती है, लेकिन उन्हें सही करने की जिम्मेदारी अस्पताल की होती है।"
उन्होंने कहा कि "किसी भी प्रकार की चूक को सहन नहीं किया जाएगा। इस मामले में सख्त कार्रवाई की गई है, और जो भी व्यक्ति दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यहाँ की मशीन खराब थी, इसकी जानकारी सरकार को नहीं थी, जिससे यह गंभीर घटना घट गई है। कांग्रेस सरकार कभी भी इतनी बड़ी लापरवाही को बर्दाश्त नहीं करेगी।"
राकेश सिन्हा ने कहा कि "जैसे ही हमें इस मामले की जानकारी मिली, संबंधित अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया। हमारे मंत्री स्वयं वहाँ जाकर हर चीज की समीक्षा करते हैं। हमारी सरकार लगातार किसी भी मामले पर कार्रवाई करती है, और इसके लिए एक समिति बनाई गई है जो जल्द ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी।"
ज्ञात हो कि 27 अक्टूबर को झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा सदर अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने का मामला सामने आया था, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले की जांच के लिए एक छह सदस्यीय समिति का गठन किया है। विभाग की विशेष सचिव डॉ. नेहा अरोड़ा को समिति की अध्यक्ष बनाया गया है।
इस बीच, झारखंड हाईकोर्ट ने भी इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद राज्य के स्वास्थ्य सेवा निदेशक डॉ. दिनेश कुमार के नेतृत्व में एक पांच सदस्यीय टीम ने चाईबासा जाकर ब्लड बैंक, पीकू वार्ड और लैब का निरीक्षण किया। प्रारंभिक जांच में ब्लड स्क्रीनिंग, रिकॉर्ड रखरखाव और ट्रांसफ्यूजन प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं।