क्या चामुंडेश्वरी मंदिर में महिषासुर का वध कर पहाड़ियों पर विराजमान हैं मां?

Click to start listening
क्या चामुंडेश्वरी मंदिर में महिषासुर का वध कर पहाड़ियों पर विराजमान हैं मां?

सारांश

चामुंडेश्वरी मंदिर, जो कर्नाटक की चामुंडी पहाड़ियों में स्थित है, मां सती के गिरे हुए अंग से जुड़ा है। यह मंदिर शक्तिपीठों में एक अद्वितीय स्थान रखता है। जानें इस मंदिर के इतिहास और वहां के अद्भुत अनुभव के बारे में।

Key Takeaways

  • चामुंडेश्वरी मंदिर 18 महाशक्तिपीठों में से एक है।
  • यह मंदिर मां सती के गिरे केश से जुड़ा है।
  • मंदिर की सीढ़ियाँ भक्तों के पापों का प्रायश्चित करती हैं।
  • महिषासुर का वध मां चामुंडेश्वरी ने किया।
  • यहाँ की वास्तुकला द्रविड़ संस्कृति का अद्भुत उदाहरण है।

नई दिल्ली, 16 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। विश्व भर में 18 महाशक्तिपीठ मंदिर हैं, जिनका उल्लेख आदि शंकराचार्य ने किया था।

इन महाशक्तिपीठों को मां सती और भगवान शिव से जोड़ा गया है। माना जाता है कि जहां-जहां मां सती के अंग गिरे, वहां महाशक्तिपीठ स्थापित हुए। इन 18 महाशक्तिपीठों में एक प्रसिद्ध चामुंडेश्वरी मंदिर है, जो कर्नाटक की चामुंडी पहाड़ियों में स्थित है और इसे शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

यह चामुंडेश्वरी मंदिर कर्नाटक के मैसूर पैलेस से 13 किलोमीटर दूर पहाड़ियों पर स्थित है। भक्त सीढ़ियों से चढ़कर मां के स्वरूप के दर्शन करने आते हैं। इन सीढ़ियों का भी अपना महत्व है; जैसे-जैसे भक्त एक-एक सीढ़ी चढ़ते हैं, उनके पाप कटने लगते हैं। चामुंडेश्वरी देवी को क्रौंच पीठम के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि प्राचीन काल में इस स्थान को क्रौंच पुरी कहा जाता था।

मंदिर का इतिहास मां सती के गिरे केश, राक्षस महिषासुर और राजा चामराजेंद्र वाडियार से जुड़ा है। legends के अनुसार, इसी स्थल पर मां सती के केश गिरे थे और यही मंदिर की स्थापना हुई। पहाड़ियों में राक्षस महिषासुर की प्रतिमा भी है। महिषासुर का अहंकार बढ़ गया था, तब त्रिदेव ने मां शक्ति का आह्वान किया और मां चामुंडेश्वरी प्रकट हुईं। महिषासुर को वरदान था कि वह त्रिदेव के हाथों नहीं मरेगा, बल्कि एक महिला उसका संहार करेगी।

एक और दिलचस्प किंवदंती है कि 1573 में राजा चामराजेंद्र वाडियार मां भगवती की पूजा में लीन थे, तभी आसमान से बिजली गिरी, जिससे केवल उनके केश को नुकसान पहुंचा। लोगों का मानना है कि मां भगवती ने राजा की रक्षा की थी और उन्होंने ही मंदिर का निर्माण कराया था।

मां चामुंडेश्वरी के मंदिर में अन्य देवी-देवताओं को भी स्थान दिया गया है। मंदिर में प्रवेश करते ही भगवान श्रीगणेश की मूर्ति दिखाई देती है। थोड़ी दूर बढ़ने पर गर्भगृह के ठीक सामने नंदी महाराज की भारत की सबसे बड़ी प्रतिमा विराजमान है। गर्भगृह के बाहर भगवान हनुमान भी मां की सेवा में उपस्थित हैं।

माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में होयसल शासकों ने कराया। मंदिर के प्रवेश द्वार पर चांदी के द्वार हैं, जो द्रविड़ संस्कृति की वास्तुकला को दर्शाते हैं। श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचने के लिए 1000 सीढ़ियां पार करनी होती हैं, और बीच-बीच में भक्तों को छोटे-छोटे उपमंदिर के दर्शन होते हैं।

Point of View

बल्कि इसकी ऐतिहासिकता और वास्तुकला भी इसे अनूठा बनाती है। यह भक्तों को एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है, जो उन्हें आत्मिक शांति की ओर ले जाता है।
NationPress
16/11/2025

Frequently Asked Questions

चामुंडेश्वरी मंदिर कहाँ स्थित है?
चामुंडेश्वरी मंदिर कर्नाटक के मैसूर से 13 किलोमीटर दूर चामुंडी पहाड़ियों में स्थित है।
इस मंदिर की स्थापना कब हुई थी?
मंदिर की स्थापना का उल्लेख 12वीं शताब्दी में होयसल शासकों द्वारा किया गया है।
मंदिर में कितनी सीढ़ियाँ चढ़नी होती हैं?
श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचने के लिए 1000 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं।
महिषासुर का वध किसने किया?
महिषासुर का वध मां चामुंडेश्वरी ने किया था।
क्या मंदिर में अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ हैं?
हाँ, मंदिर में भगवान श्रीगणेश, नंदी महाराज और भगवान हनुमान की मूर्तियाँ भी हैं।
Nation Press