क्या चंद्र ग्रहण से पहले मां महामाया मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी?

सारांश
Key Takeaways
- चंद्र ग्रहण से पहले श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।
- मंदिर के पट 12 बजे बंद होंगे।
- सूतक काल के दौरान पूजा-पाठ पर रोक।
- ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को सतर्क रहना चाहिए।
- ब्लड मून के अद्भुत दृश्य का आनंद लें।
छत्तीसगढ़, 7 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। चंद्र ग्रहण से पूर्व आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। अंबिकापुर स्थित मां महामाया मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। लोग माता के दर्शन और पूजा-अर्चना कर रहे हैं, क्योंकि दोपहर के बाद मंदिर के पट बंद होने वाले हैं।
मंदिर के पुजारी बबलू महाराज ने बताया कि ग्रहण काल की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजा-पाठ पर प्रतिबंध लग जाता है, इसलिए दोपहर 12 बजे से मंदिर के द्वार सामान्य श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाएंगे।
पूरे विधि-विधान के साथ मंदिर में पूजा-अर्चना का कार्य सुबह से ही जारी है।
पुजारी बबलू महाराज ने कहा, "आज रात 9 बजकर 57 मिनट पर चंद्र ग्रहण प्रारंभ होगा। ग्रहण आरंभ होने से नौ घंटे पूर्व सूतक काल शुरू हो जाता है, जिसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत अशुभ माना जाता है। इसी कारण सूतक लगने के साथ ही मंदिरों में पूजा-पाठ बंद कर दिए जाते हैं।"
उन्होंने बताया कि ग्रहण समाप्त होने के बाद मंदिर के पट अगले दिन पुनः खोले जाएंगे और मां महामाया की विधिवत पूजा-अर्चना की जाएगी।
ज्ञात हो कि इस बार का चंद्र ग्रहण रात 9 बजकर 58 मिनट पर प्रारंभ होगा और 8 सितंबर की रात 1 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगा। चंद्रमा पूरी तरह धरती की छाया में डूब जाएगा, जिसे आम भाषा में 'ब्लड मून' कहा जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि चंद्रमा उस समय हल्के लाल रंग का दिखता है। यह पूरा ग्रहण लगभग 3 घंटे 28 मिनट तक चलेगा और भारत के सभी हिस्सों में आसानी से दिखाई देगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण काल और उससे पूर्व लगने वाला सूतक काल पूजा-पाठ, खान-पान और शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना जाता है। गर्भवती महिलाओं को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है। इस दौरान केवल मंत्र जाप, ध्यान और ईश्वर का स्मरण करना ही शुभ माना जाता है।