क्या 'नहाय-खाय' के साथ शुरू हुआ लोकआस्था का महापर्व छठ पूजा? अमित शाह समेत नेताओं ने दी शुभकामनाएं
सारांश
Key Takeaways
- छठ पूजा का महापर्व 'नहाय-खाय' से आरंभ होता है।
- इस पर्व का महत्व आस्था और प्रकृति की पूजा में निहित है।
- गृह मंत्री अमित शाह और अन्य नेताओं ने इस पर्व पर शुभकामनाएं दी हैं।
- यह पर्व चार दिनों तक चलता है और अनुशासित होता है।
- छठ पूजा भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है।
नई दिल्ली, २५ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। लोकआस्था और सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा शनिवार को 'नहाय-खाय' के साथ आरंभ हो गया है। यह पर्व न केवल बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में, बल्कि देश और विदेश में भी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर गृह मंत्री अमित शाह सहित कई नेताओं ने शुभकामनाएं दी।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट करते हुए लिखा, "परंपरा, आस्था और सामाजिक समरसता के उत्सव छठ पूजा के 'नहाय-खाय' की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। छठी मईया से सभी के सुख और समृद्धि की प्रार्थना करता हूं।"
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने आधिकारिक 'एक्स' पोस्ट में लिखा, "जय छठी मईया! नहाए-खाए के पवित्र अवसर के साथ आज शुरू हो रहे आस्था व सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।"
वहीं, बिहार के डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने आधिकारिक 'एक्स' संदेश में कहा कि छठ पूजा सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि प्रकृति की पूजा-अर्चना का प्रतीक है। उन्होंने 'एक्स' संदेश में लिखा, "प्रकृति की पूजा अर्चना के लिए विश्वविख्यात, लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा के पहले दिन नहाए-खाए की आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं। छठी मईया आप सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करें।"
दिल्ली सीएम रेखा गुप्ता ने अपने 'एक्स' संदेश में छठ पूजा को भारतीय संस्कृति की आत्मा बताया। उन्होंने लिखा, "नहाय-खाय से आरंभ हुआ सूर्योपासना का महापर्व छठ, शुद्धता, अनुशासन और आत्मसंयम की साधना है। बिहार की लोकसंस्कृति ने इस पर्व में वह जीवन-दर्शन रचा है, जहां प्रकृति और श्रद्धा एक सूत्र में बंधे हैं। नहाय-खाय की इस पावन बेला पर छठी मईया सभी परिवारों को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करें।"
उन्होंने आगे कहा कि सूर्यदेव अपनी ऊर्जा से भारत को नई ज्योति दें और यह लोकपरंपरा पूरे देश को एकता, अनुशासन और स्वावलंबन का मार्ग दिखाती रहे।
चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व भारतीय संस्कृति में सबसे अनुशासित और शुद्ध पर्व माना जाता है। 'नहाय-खाय' के बाद 'खरना', फिर 'सांझ अर्घ्य' और अंत में 'भोर अर्घ्य' के साथ यह पर्व संपन्न होता है।
सूर्य उपासना का यह अनोखा पर्व जहां आस्था का प्रतीक है। छठ पूजा की इस पावन शुरुआत पर पूरा देश भक्ति, उत्साह और एकता की भावना से ओत-प्रोत नजर आ रहा है।