क्या छत्तीसगढ़ ब्लास्ट मामले में एनआईए ने दो नए आरोपियों का आरोपपत्र दायर किया?

सारांश
Key Takeaways
- एनआईए ने दो और आरोपियों का आरोपपत्र दायर किया है।
- छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दौरान हुए विस्फोट में एक हेड कांस्टेबल की मौत हुई।
- भाकपा (माओवादी) ने चुनाव बहिष्कार का आह्वान किया था।
नई दिल्ली, 26 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने नवंबर 2023 में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दौरान हुए बम विस्फोट मामले में दो और आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र पेश किया है।
एनआईए के प्रस्तुत पूरक आरोपपत्र में धनेश राम ध्रुव और रामस्वरूप मरकाम पर आईपीसी और यूए(पी) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिससे इस मामले में आरोपपत्र दायर करने वाले आरोपियों की कुल संख्या 12 हो गई है। आरसी-05/2024/एनआईए/आरपीआर मामले में दिसंबर 2024 में पहले ही 10 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया जा चुका है।
नवंबर 2023 में छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनावों के दौरान, राज्य के गरियाबंद जिले के बड़ेगोबरा गांव में प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) द्वारा चुनाव बहिष्कार के आह्वान के जवाब में किए गए एक आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) विस्फोट में आईटीबी के एक हेड कांस्टेबल की मौत हो गई थी। यह विस्फोट उस समय हुआ, जब सुरक्षाकर्मियों के साथ एक मतदान दल मतदान प्रक्रिया पूरी होने के बाद बड़ेगोबरा गांव से लौट रहा था।
धनेश राम ध्रुव एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक था और रामस्वरूप मरकाम नक्सल प्रभावित गरियाबंद जिले के छोटेगोबरा पंचायत का सरपंच था। एनआईए की जांच के अनुसार, दोनों हमले को अंजाम देने के लिए भाकपा (माओवादी) के सदस्यों को रसद और वित्तीय सहायता प्रदान करने में शामिल थे।
आरोपी धनेश राम ध्रुव ने विधानसभा चुनावों के बहिष्कार के पोस्टर और बैनर बनाने में भाकपा (माओवादी) कार्यकर्ताओं की सक्रिय रूप से मदद की थी। रामस्वरूप ने आईईडी विस्फोट को अंजाम देने से पहले नक्सलियों के लिए तार, स्विच और पटाखे जैसी आपत्तिजनक सामग्री का इंतजाम किया था।
एनआईए ने फरवरी 2024 में जांच अपने हाथ में ली थी। केंद्रीय एजेंसी ने जांच में पाया कि इस हमले की योजना भाकपा (माओवादी) केंद्रीय समिति के सदस्य गणेश उइके और मनोज तथा विशेष क्षेत्रीय समिति के सदस्य सत्यम गावड़े ने बनाई थी। इस हमले को संगठन के गोबरा दलम के कार्यकर्ताओं ने बड़ेगोबरा-छोटेगोबरा गांव के सक्रिय कार्यकर्ताओं (ओजीडब्ल्यू) के सहयोग से अंजाम दिया था। मामले की जांच जारी है।