क्या चीन ईरान को सैन्य सहायता देने के लिए आलोचना के घेरे में है?

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क्या चीन ईरान को सैन्य सहायता देने के लिए आलोचना के घेरे में है?

सारांश

चीन की विदेश नीति पर सवाल उठते हुए, क्या ईरान को सैन्य सहायता देने का मामला उसे वैश्विक आलोचना के घेरे में लाएगा? जानिए इस रिपोर्ट में वह सब कुछ जो चीन और ईरान के संबंधों के पीछे छिपा है।

Key Takeaways

  • चीन ने ईरान को सैन्य सहायता दी है।
  • चीन की विदेश नीति पर सवाल उठ रहे हैं।
  • भारत के क्षेत्रीय प्रभाव को रोकने की रणनीति।
  • चीन और ईरान के बीच 25 साल का सहयोग समझौता।
  • इजरायल में चीन का स्पष्ट खंडन।

बीजिंग, 5 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। लंबे समय से अपनी "गैर-हस्तक्षेप" की विदेश नीति का समर्थन करने वाला चीन अब ईरान को हालिया संघर्ष में सैन्य सहायता देने के लिए वैश्विक जांच के दायरे में आ गया है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल के साथ हालिया टकराव के दौरान, चीन ने ईरान को तेल के बदले सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के लिए बैटरियां उपलब्ध कराई हैं।

यह जानकारी ऐसे समय में आई है जब चीन पहले ही रूस के यूक्रेन युद्ध में अप्रत्यक्ष सहयोग और भारत-पाकिस्तान के बीच मई में हुए तनाव में पाकिस्तान के समर्थन को लेकर आलोचना का सामना कर रहा है। यह तनाव 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए एक गंभीर आतंकी हमले के बाद बढ़ा था।

चीन की भव्य रणनीति के विशेषज्ञ लिंगगोंग कोंग ने 'वन वर्ल्ड आउटलुक' में लिखा, "मुझे पूरा विश्वास है कि चीन ईरान को सैन्य सहायता प्रदान कर सकता है जबकि सार्वजनिक रूप से उसका खंडन करता रहेगा। यह रणनीति उसे सैन्य प्रभाव दिखाने और अंतरराष्ट्रीय आलोचना से बचते हुए कूटनीतिक लचीलापन बनाए रखने में मदद करती है।"

हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि जब परोक्ष सबूत बढ़ने लगते हैं, तो ऐसी गतिविधियां "असंभव इनकार" की स्थिति में पहुंच जाती हैं, जहाँ आधिकारिक खंडन अब विश्वसनीय नहीं रहता।

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की ओर से इजरायल में स्थित चीनी दूतावास ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि बीजिंग हथियारों के प्रसार का विरोध करता है और युद्धरत देशों को हथियार निर्यात नहीं करता, लेकिन चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से अब तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि चीन ने यूक्रेन युद्ध के दौरान रूस को भारी मात्रा में दोहरे उपयोग वाले सामान मुहैया कराए हैं, जो नागरिक और सैन्य दोनों उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जा सकते हैं। इसके अलावा, चीन ने रूस को सैटेलाइट इमेजरी भी उपलब्ध कराई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष में सार्वजनिक रूप से तटस्थता का दावा किया, लेकिन व्यवहार में वह पाकिस्तान के साथ खड़ा दिखाई दिया। रिपोर्ट के अनुसार, "चीन की यह सैन्य सहायता भारत के बढ़ते क्षेत्रीय प्रभाव को रोकने, भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को संतुलित करने और चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर की रक्षा करने की रणनीति का हिस्सा है।"

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि चीन और ईरान के बीच 25 साल का व्यापक सहयोग समझौता हुआ है, जिसमें व्यापार, ऊर्जा और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग शामिल है। इससे स्पष्ट होता है कि बीजिंग ईरान को रणनीतिक रूप से कितना महत्व देता है।

Point of View

यह देखना आवश्यक है कि चीन की विदेश नीति कैसे वैश्विक दृष्टिकोण को प्रभावित कर रही है। ईरान के साथ उसके संबंध और पाकिस्तान के प्रति उसका समर्थन, भारत के साथ उसकी प्रतिस्पर्धा को और भी जटिल बनाता है। हमें इस मामले में सतर्क रहना होगा और अपने राष्ट्रीय हितों का संरक्षण करना होगा।
NationPress
05/08/2025

Frequently Asked Questions

क्या चीन ने ईरान को सैन्य सहायता दी है?
हां, हालिया रिपोर्टों के अनुसार, चीन ने ईरान को तेल के बदले सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के लिए बैटरियां प्रदान की हैं।
चीन की विदेश नीति में क्या बदलाव आया है?
चीन की विदेश नीति, जो लंबे समय से 'गैर-हस्तक्षेप' का समर्थन करती आ रही है, अब सैन्य सहायता के मामलों में सवालों के घेरे में है।
क्या चीन की सैन्य सहायता भारत को प्रभावित करेगी?
जी हां, चीन की सैन्य सहायता भारत के बढ़ते क्षेत्रीय प्रभाव को रोकने और भारत-अमेरिका संबंधों को संतुलित करने की एक रणनीति हो सकती है।
चीन और ईरान के बीच क्या संबंध हैं?
चीन और ईरान के बीच 25 साल का एक व्यापक सहयोग समझौता हुआ है, जिसमें व्यापार, ऊर्जा और सुरक्षा शामिल हैं।
इजरायल में चीन का क्या बयान है?
चीन के इजरायल में स्थित दूतावास ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि बीजिंग हथियारों के प्रसार का विरोध करता है।