क्या एनआईए ने नक्सली नेताओं के नाम हटाए? भूपेश बघेल का सवाल
सारांश
Key Takeaways
- जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
- भूपेश बघेल ने एनआईए की कार्रवाई पर सवाल उठाया है।
- राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की प्रक्रिया में एक बार फिर गर्मी बढ़ गई है।
- भाजपा और नक्सलियों के बीच संबंधों पर चर्चा हो रही है।
- क्या वाकई में एनआईए ने नक्सली नेताओं के नाम हटाए?
रायपुर, 23 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने सोमवार को कहा कि कांग्रेस पार्टी के कुछ अंदरूनी सदस्यों का संबंध 2013 के झीरम घाटी माओवादी हमले से है, जिसके परिणामस्वरूप राज्य के कांग्रेस नेताओं की हत्या हुई थी। इस पर छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने तीखे सवाल उठाए।
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि भाजपा हमेशा से षड्यंत्र करती रही है, क्योंकि आरएसएस से उन्होंने यही सीखा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब रमन सिंह की सरकार थी, तब नक्सली मंत्री के पास हफ्ता वसूलने आते थे।
उन्होंने आगे कहा कि झीरम के मामले में, जब प्रधानमंत्री आए थे, उन्होंने कहा था कि 15 दिन में अपराधियों को पकड़ा जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हमारी सरकार आने पर, हमने बताया कि एनआईए ने अंतिम रिपोर्ट जमा की है, लेकिन आरोपी पकड़ में नहीं आए। थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी, जिसमें बड़े नक्सली नेताओं के नाम थे।
उन्होंने सवाल किया कि एनआईए ने नक्सली नेताओं के नाम क्यों हटाए? हमने इस घटना की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया, तो एनआईए हाई कोर्ट क्यों गई?
उन्होंने कहा कि एनआईए को अदालत ने आदेश दिया था कि जो नक्सली नेता जेल में हैं और जिन्होंने आत्मसमर्पण किया है, उनसे पूछताछ कर रिपोर्ट पेश की जाए, लेकिन आज तक कोई पूछताछ क्यों नहीं की गई?
उन्होंने आरोप लगाया कि यह साफ है कि भाजपा और नक्सलियों के बीच संबंध हैं और सांठगांठ है। हमने गृह मंत्रालय और एनआईए को कई पत्र लिखे कि यदि आप जांच नहीं कर रहे हैं, तो मामला हमें सौंप दिया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के दो साल पूरे होने के अवसर पर जेपी नड्डा ने कहा कि पूर्व कांग्रेस सरकारों ने माओवादियों के साथ मिलीभगत की, जबकि प्रधानमंत्री मोदी की डबल इंजन सरकार ने वामपंथी उग्रवाद का सामना किया है।