क्या चीन में उइगरों और तिब्बतियों के खिलाफ उत्पीड़न जारी है?

सारांश
Key Takeaways
- चीन में उइगरों और तिब्बतियों के खिलाफ नरसंहार जारी है।
- अमेरिकी रिपोर्ट ने मानवाधिकार उल्लंघनों का खुलासा किया है।
- चीन द्वारा अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है।
- मनमाने ढंग से गिरफ्तारियों की घटनाएं हो रही हैं।
- अंतरराष्ट्रीय दबाव की आवश्यकता है।
वॉशिंगटन, 17 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। चीन में उइगरों और तिब्बतियों पर जारी नरसंहार और उत्पीड़न की नई जानकारियां सामने आई हैं। एक अमेरिकी रिपोर्ट में इस विषय पर कई महत्वपूर्ण खुलासे किए गए हैं।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा जारी 2024 की 'कंट्री रिपोर्ट ऑन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिसेज ऑन चीन' में कहा गया है कि बीजिंग तिब्बतियों और उइगरों समेत अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है।
इस रिपोर्ट में मनमाने ढंग से गिरफ्तारियों, अंतरराष्ट्रीय दमन और व्यापक साइबर निगरानी का उल्लेख किया गया है, जो विशेष रूप से तिब्बती और उइगर समुदायों को प्रभावित कर रही हैं।
42 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 में चीन में 'नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराध' हुए, जिनका मुख्य शिकार उइगर मुस्लिम और अन्य जातीय तथा धार्मिक अल्पसंख्यक बने।
इसमें बताया गया है कि चीन के कानून सुरक्षा अधिकारियों को बिना औपचारिक आरोपों के लंबे समय तक हिरासत में रखने का अधिकार देते हैं, जिससे मनमानी गिरफ्तारियों और हिरासत की घटनाएं व्यवस्थित रूप से जारी रहीं।
पूर्व राजनीतिक कैदियों और उनके परिवारों को बार-बार निशाना बनाया गया। इसमें तिब्बती बौद्ध भिक्षु गो शेराब ग्यात्सो और तेनजिन खेनराब, तिब्बती उद्यमी दोरजी ताशी, तथा गायक लुंद्रुप द्रक्पा और त्रिनले त्सेकर शामिल हैं।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि संवेदनशील अवसरों जैसे कि विदेशी नेताओं की यात्रा, चीन की संसद और सलाहकार परिषद के वार्षिक सत्र, तियानमेन नरसंहार की बरसी, और तिब्बती एवं शिनजियांग से जुड़े अन्य अवसरों पर कई नागरिकों को नजरबंद कर दिया जाता है।
विदेशों में रहने वाले असंतुष्टों के खिलाफ भी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) और उसके 'एजेंटों' द्वारा हिंसा और धमकी की घटनाएं सामने आई हैं। इनमें झंडों के डंडों और रासायनिक स्प्रे से हमले, संपत्ति की चोरी, पीछा करना और धमकाना शामिल हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 'विश्वसनीय सूचनाएं हैं कि चीन ने अन्य देशों पर दबाव डाला ताकि वे विशेष व्यक्तियों या समूहों के खिलाफ प्रतिकूल कार्रवाई करें।'
इससे पहले जुलाई में 'हांगकांग डेमोक्रेसी काउंसिल और स्टूडेंट्स फॉर अ फ्री तिब्बत' की रिपोर्ट में भी विदेशों में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ चीनी धमकाने की रणनीति को उजागर किया गया था।
रिपोर्ट में फरवरी में लीक हुए चीनी साइबर सुरक्षा फर्म आई-सून के दस्तावेजों का भी हवाला है, जिनसे पता चला कि सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय और अन्य एजेंसियों के लिए 'विस्तृत' साइबर अभियान चलाए गए।
इन अभियानों का निशाना खासतौर पर मध्य और दक्षिण-पूर्व एशिया में उइगरों से जुड़े संगठन और भारत के हिमाचल प्रदेश, धर्मशाला स्थित केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) रहे।
अमेरिकी रिपोर्ट ने यह भी कहा कि चीनी सरकार ने मानवाधिकार हनन करने वाले अधिकारियों की पहचान करने या उन्हें सजा देने के लिए कोई विश्वसनीय कदम नहीं उठाया है।