क्या चोलाई को ‘व्रत का सुपरफूड’ कहा जाना चाहिए? आयुर्वेद से जानें इसके अद्भुत लाभ

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क्या चोलाई को ‘व्रत का सुपरफूड’ कहा जाना चाहिए? आयुर्वेद से जानें इसके अद्भुत लाभ

सारांश

क्या आप जानते हैं कि चोलाई को ‘व्रत का सुपरफूड’ क्यों कहा जाता है? यह न केवल पौष्टिक है, बल्कि आयुर्वेद में इसके अद्भुत लाभ भी बताए गए हैं। जानिए चोलाई के बारे में सब कुछ, और क्यों यह आपके व्रत को खास बनाता है।

Key Takeaways

  • चोलाई एक पौष्टिक बीज है जो उपवास के दौरान खाया जाता है।
  • यह ग्लूटेन-फ्री है और विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।
  • चोलाई में प्रोटीन, कैल्शियम और आयरन की मात्रा अधिक होती है।
  • यह पाचन में मदद करता है और थकान को कम करता है।
  • आयुर्वेद में इसे बल्य आहार माना गया है।

नई दिल्ली, 27 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में व्रत या उपवास केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह शरीर और मन को शुद्ध रखने का एक प्रभावी तरीका भी है। ऐसे अवसरों पर कुछ विशेष खाद्य पदार्थों का सेवन किया जाता है, जिनमें चोलाई (अमरंथस) का नाम विशेष रूप से लिया जाता है। इसे हिंदी में चोलाई, रामदाना या राजगिरा भी कहा जाता है। यह अनाज नहीं, बल्कि बीज है, इस कारण व्रत के दौरान इसे खाने की अनुमति होती है।

चोलाई का उपयोग प्राचीन काल से भारत और अन्य देशों में होता आ रहा है और आयुर्वेद में इसे एक श्रेष्ठ बल्य आहार माना गया है। इसका स्वाद हल्का कुरकुरा और पौष्टिक होता है। व्रत के दौरान इसे लड्डू, खिचड़ी, हलवा, पराठा और नमकीन बनाने में प्रयोग किया जाता है।

चोलाई की खासियत यह है कि यह ग्लूटेन-फ्री है, जिससे यह उपवास और ग्लूटेन एलर्जीप्रोटीन, विशेषकर लाइसिन (एक आवश्यक अमीनो एसिड) की मात्रा अधिक होती है, जो सामान्य अनाजों में कम मिलती है। इसमें दूध से भी अधिक कैल्शियम पाया जाता है, जिससे हड्डियाँ और दांत मजबूत रहते हैं।

इसके अतिरिक्त, इसमें आयरन और फाइबर की पर्याप्त मात्रा होती है, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखते हुए शरीर में ऊर्जा का संचार करता है। माइक्रोन्यूट्रिएंट्स जैसे फॉस्फोरस और मैंगनीज भी चोलाई में भरपूर होते हैं। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट तत्व स्क्वालीन शरीर को फ्री-रेडिकल्स से बचाते हैं और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करते हैं।

चोलाई का सेवन व्रत के दौरान थकान और कमजोरी को कम करता है, पाचन में सुधार लाता है, कब्ज और एसिडिटी जैसी समस्याओं को कम करता है, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है और शुगर को नियंत्रण में रखने में भी सहायक होता है। इसके अलावा, इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा की झुर्रियों को कम करते हैं और बालों को मजबूत बनाते हैं। आयरन और फोलिक एसिड की उपस्थिति से यह खून की कमी यानी एनीमिया में भी लाभकारी है।

व्रत में चोलाई के कई व्यंजन बनाए जा सकते हैं। गुड़ और घी के साथ चोलाई लड्डू ऊर्जा और स्वाद दोनों प्रदान करते हैं। आलू और मूंगफली के साथ बनाई गई खिचड़ी हल्की और पौष्टिक होती है। चोलाई पराठा, हलवा और नमकीन/चिवड़ा भी व्रत में सेवन के लिए बेहतरीन विकल्प हैं।

आयुर्वेद के अनुसार, चोलाई त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करता है, शरीर की पाचन शक्ति को बढ़ाता है और ऊतकों को ताकत प्रदान करता है। यह बल्य आहार के रूप में शरीर में शक्ति और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। इसलिए, चोलाई न केवल व्रत का अनिवार्य हिस्सा है, बल्कि यह स्वास्थ्य और शक्ति का असली खजाना भी है।

Point of View

बल्कि स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण है। इसका उपयोग केवल भारत में ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर किया जा रहा है। यह न केवल उपवास का एक अनिवार्य हिस्सा है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।
NationPress
27/09/2025

Frequently Asked Questions

चोलाई को व्रत में क्यों शामिल किया जाता है?
चोलाई में उच्च पौष्टिकता होती है और यह ग्लूटेन-फ्री है, इसलिए इसे व्रत के दौरान सेवन करने की अनुमति है।
चोलाई के क्या फायदे हैं?
चोलाई में प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर को ऊर्जा और मजबूती प्रदान करते हैं।
चोलाई का सेवन कैसे किया जाता है?
चोलाई का सेवन लड्डू, खिचड़ी, हलवा, पराठा, और नमकीन के रूप में किया जा सकता है।