क्या सीजेआई जस्टिस बीआर गवई की भूटान यात्रा में संवैधानिक शासन पर दिया गया भाषण महत्वपूर्ण था?

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क्या सीजेआई जस्टिस बीआर गवई की भूटान यात्रा में संवैधानिक शासन पर दिया गया भाषण महत्वपूर्ण था?

सारांश

सीजेआई जस्टिस बीआर गवई की भूटान यात्रा ने संवैधानिक शासन के महत्व को उजागर किया। थिम्पू में दिए गए उनके भाषण में न्यायपालिका की भूमिका पर गहराई से चर्चा की गई। जानिए इस यात्रा के दौरान क्या महत्वपूर्ण बातें हुईं और कैसे ये दोनों देशों की न्याय व्यवस्था को सुदृढ़ कर सकती हैं।

Key Takeaways

  • भूटान का संविधान नागरिकों के लिए शांति और सुख सुनिश्चित करता है।
  • न्यायपालिका का कार्य केवल दंड या निवारण तक सीमित नहीं है।
  • संवैधानिक शासन को सुदृढ़ बनाने में न्यायपालिका का योगदान महत्वपूर्ण है।
  • भूटान की न्यायपालिका को भारत के सर्वोच्च न्यायालय का दौरा करने का आमंत्रण दिया गया।
  • पर्यावरण संरक्षण के प्रति साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक पौधारोपण।

नई दिल्ली, २३ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई भूटान की चार दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर हैं। उन्होंने अपनी इस यात्रा के दौरान गुरुवार को थिम्पू स्थित रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में जिग्मे सिंग्ये वांगचुक (जेएसडब्ल्यू) स्कूल ऑफ लॉ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य भाषण दिया।

इस कार्यक्रम में जेएसडब्ल्यू स्कूल ऑफ लॉ की अध्यक्ष, राजकुमारी सोनम देचेन वांगचुक, भूटान के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ल्योनपो नोरबू शेरिंग, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, भूटान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीश, संसद सदस्य, भूटान राष्ट्रीय विधि संस्थान के महानिदेशक, जेएसडब्ल्यू स्कूल ऑफ लॉ के संकाय और छात्र उपस्थित थे।

मुख्य न्यायाधीश गवई ने अपने संबोधन में 'संवैधानिक शासन को सुदृढ़ बनाने में न्यायपालिका की भूमिका' विषय पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भूटान का संविधान अपने नागरिकों के लिए बेहतर जीवन, शांति, सद्भाव और 'सकल राष्ट्रीय सुख (ग्रोस नेशनल हैप्‍पीनेस)' को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नीति निर्देशक सिद्धांतों को सम्मिलित करता है।

गवई ने कहा कि भूटान न्याय को आनंद से, अधिकारों को उत्तरदायित्वों से और स्वतंत्रता को सामूहिक समृद्धि से जोड़ने वाली संवैधानिक दृष्टि प्रस्तुत करता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस दृष्टिकोण से न्यायपालिका केवल दंड या निवारण तक सीमित नहीं रहती, बल्कि करुणा, कल्याण, सामुदायिक जीवन शक्ति और पारिस्थितिक संतुलन जैसे मूल्यों को भी आगे बढ़ाती है।

मुख्य न्यायाधीश गवई ने अपनी यात्रा के दौरान भूटान के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीशों से भेंट की। दोनों पक्षों ने संस्थागत साझेदारी, न्यायिक आदान-प्रदान, तकनीकी सहयोग और दोनों देशों की न्यायपालिकाओं के बीच सहयोग को और मजबूत बनाने के उपायों पर चर्चा की। उन्होंने भूटान की न्यायपालिका को भारत के सर्वोच्च न्यायालय का दौरा करने का आमंत्रण भी दिया।

इस अवसर पर न्यायमूर्ति गवई ने भूटान सर्वोच्च न्यायालय परिसर में एक पौधा रोपित किया, जो दोनों देशों की न्यायपालिकाओं की पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता के प्रति साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है। भूटान प्रवास के दौरान उन्होंने भारत के दूतावास का दौरा भी किया। इस यात्रा में उनके साथ रजिस्ट्रार (अंतरराष्ट्रीय संबंध), सर्वोच्च न्यायालय के अनुसंधान एवं योजना केंद्र के निदेशक और अन्य अधिकारी भी शामिल थे।

Point of View

बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारतीय न्यायपालिका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग और संवाद को बढ़ावा देने के लिए तत्पर है। यह यात्रा दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों की नींव रख सकती है और न्यायपालिका के सिद्धांतों को साझा करने का एक आदर्श उदाहरण है।
NationPress
23/10/2025

Frequently Asked Questions

सीजेआई गवई ने भूटान में क्या मुख्य बातें कहीं?
सीजेआई गवई ने संवैधानिक शासन और न्यायपालिका की भूमिका पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने भूटान के संविधान के विकास और न्याय व्यवस्था के महत्व की बात की।
भूटान यात्रा का उद्देश्य क्या था?
इस यात्रा का उद्देश्य भारत और भूटान की न्यायपालिकाओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देना और न्यायिक आदान-प्रदान को सुदृढ़ करना था।