क्या झारखंड हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद सीएम हेमंत ने पेसा नियमावली पर उच्चस्तरीय बैठक की?

सारांश
Key Takeaways
- मुख्यमंत्री की उच्चस्तरीय बैठक में पेसा नियमावली पर चर्चा हुई।
- हाईकोर्ट की टिप्पणी ने सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाए।
- बैठक में अधिकारियों को महत्वपूर्ण निर्देश दिए गए।
- पेसा नियमावली का कड़ी निगरानी से क्रियान्वयन होगा।
- अनुसूचित क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन को मजबूत किया जाएगा।
रांची, 15 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड में पेसा (पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल्ड एरिया एक्ट) नियमावली को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को राज्य के वरीय अधिकारियों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक की। मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में आयोजित इस बैठक में नियमावली के विभिन्न उपबंधों पर विस्तृत चर्चा की गई और अधिकारियों को कई अहम निर्देश दिए गए।
यह बैठक तब हुई है जब झारखंड हाईकोर्ट ने बीते 9 सितंबर को राज्य में पेसा नियमावली लागू न करने पर राज्य सरकार के खिलाफ सख्त टिप्पणी की थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पेसा कानून के नियम इस तरह लागू किए जाएं कि अनुसूचित क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन की परंपरा मजबूत हो। उन्होंने कहा कि ग्राम सभाओं को मजबूत बनाना और जनजातीय समुदायों का आर्थिक और सामाजिक विकास करना राज्य सरकार की मुख्य जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि नियमावली को लागू करने में किसी प्रकार की ढिलाई न बरती जाए।
बैठक में मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, प्रधान सचिव वंदना दादेल, एमआर मीणा, नीरज कुमार श्रीवास्तव सहित कई विभागों के सचिव, पंचायती राज निदेशक, खान विभाग के निदेशक, महाधिवक्ता राजीव रंजन और वरिष्ठ वन अधिकारी मौजूद रहे।
गौरतलब है कि झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में पेसा कानून न लागू किए जाने पर एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि सरकार 73वें संविधान संशोधन की मंशा को कमजोर कर रही है। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने टिप्पणी की थी कि अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधनों और भूमि पर अधिकार स्थानीय निकायों को मिलना चाहिए, लेकिन नियमावली बनाने में लगातार टालमटोल किया जा रहा है।
कोर्ट ने आदेश दिया था कि जब तक पेसा की नियमावली लागू नहीं होती, राज्य में लघु खनिज और बालू घाटों का पट्टा आवंटित नहीं किया जाएगा।