क्या असम आंदोलन को लेकर सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाया?

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क्या असम आंदोलन को लेकर सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाया?

सारांश

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने असम आंदोलन के शहीदों को याद करते हुए कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि 850 से अधिक युवाओं की जानें तत्कालीन सरकार के कुशासन का परिणाम थीं। यह मामला राजनीति के गहरे धागों को उजागर करता है।

Key Takeaways

  • असम आंदोलन में 850 से अधिक युवाओं की जान गई।
  • मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए।
  • गुवाहाटी में शहीद स्मारक का निर्माण किया गया है।
  • शहीद दिवस 10 दिसंबर को मनाया जाता है।
  • असम आंदोलन की जड़ें सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान से जुड़ी हैं।

गुवाहाटी, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को असम आंदोलन के शहीदों का स्मरण करते हुए, कांग्रेस पार्टी पर कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कुशासन के चलते 850 से अधिक युवाओं की जान चली गई।

सरमा ने कहा कि जिन युवाओं ने अपने प्राणों की आहुति दी, वे राज्य की क्रूरता के शिकार थे। उन्हें एक सुरक्षित असम की मांग उठाने के लिए दंडित किया गया।

मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि हमने जो कुछ भी देखा है, उन युवाओं ने असम को अवैध प्रवासियों से मुक्त करने की मांग करते हुए अपनी जान दे दी।

दुर्भाग्य से, राज्य प्रशासन की क्रूरता के कारण 850 से ज्यादा लोगों की जान गई। उस वक्त कांग्रेस केंद्र और राज्य दोनों में सत्तारूढ़ थी। असम आंदोलन के दौरान जानमाल के नुकसान के लिए कांग्रेस सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार है।

राज्य सरकार ने गुवाहाटी में शहीद स्मारक का निर्माण किया है, जिसका उद्घाटन बुधवार को होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने शहीदों को एक स्थायी स्मारक देकर एक ऐतिहासिक अन्याय को ठीक किया है।

सरमा ने कहा, "उनकी एकमात्र गलती थी अनियंत्रित घुसपैठ को समाप्त करने की मांग करना। वर्षों से असम के वीरों को वो सम्मान नहीं मिला जिसके वे हकदार थे।"

शहर के केंद्रीय इलाके में स्थित स्मारक में आंदोलनकारियों को समर्पित शिलालेख हैं और 1979 से 1985 के बीच असम आंदोलन के सफर को दर्शाने वाली प्रदर्शनियां भी हैं।

अधिकारियों ने बताया कि यह स्मारक न केवल एक श्रद्धांजलि है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए शैक्षिक स्थल भी है। 10 दिसंबर को मनाया जाने वाला शहीद दिवस 1979 में पहले शहीद खरगेश्वर तालुकदार की हत्या की याद में मनाया जाता है, जिसकी हत्या ने ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन को और तेज कर दिया।

दशकों से यह दिन विभिन्न पार्टियों, विशेषकर भाजपा के लिए एक राजनीतिक पहचान बन गया है, जिसने अपने चुनावी संदेशों में अवैध प्रवासन के मुद्दे को लगातार प्राथमिकता दी है।

मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि यह स्मारक राज्य की जनसांख्यिकीय पहचान की रक्षा के लिए किए गए बलिदानों की याद दिलाता है। उन्होंने कहा, "शहीद स्मारक उनके सर्वोच्च बलिदान के प्रमाण के रूप में खड़ा रहेगा। असम हमेशा उनका ऋणी रहेगा।"

Point of View

हमें यह समझना चाहिए कि असम आंदोलन की जड़ें गहरी हैं। यह न केवल एक राजनीतिक मुद्दा है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा की एक कहानी भी है। ऐसे में, हमें सभी पक्षों को समझने की आवश्यकता है और सत्य को सामने लाने की कोशिश करनी चाहिए।
NationPress
09/12/2025

Frequently Asked Questions

असम आंदोलन का मुख्य कारण क्या था?
असम आंदोलन का मुख्य कारण अवैध प्रवासियों की समस्या थी, जो स्थानीय लोगों की पहचान और संसाधनों पर खतरा बन रहे थे।
मुख्यमंत्री सरमा ने कांग्रेस पर क्या आरोप लगाए?
मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि कांग्रेस के कुशासन के कारण 850 से ज्यादा युवाओं की जान गई।
शहीद स्मारक का उद्घाटन कब होगा?
शहीद स्मारक का उद्घाटन 10 दिसंबर को होगा।
शहीद दिवस कब मनाया जाता है?
शहीद दिवस 10 दिसंबर को मनाया जाता है, जो पहले शहीद खरगेश्वर तालुकदार की याद में है।
असम आंदोलन के दौरान कितने लोग मारे गए थे?
असम आंदोलन के दौरान 850 से अधिक लोग मारे गए थे।
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