क्या केरल में दक्षिण रेलवे के समारोह में आरएसएस का गीत गाने पर सीएम पिनाराई विजयन का विरोध उचित है?
सारांश
Key Takeaways
- आरएसएस का गीत गाना निंदनीय है।
- धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन।
- राजनीतिक प्रचार का मंच नहीं बनना चाहिए।
- स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों का अपमान।
- सांप्रदायिकता के खिलाफ एकजुटता की आवश्यकता।
तिरुवनंतपुरम, ८ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने एर्नाकुलम-बेंगलुरु वंदे भारत एक्सप्रेस सेवा के उद्घाटन समारोह में आरएसएस के गीत गाने की कड़ी निंदा की है। मुख्यमंत्री ने इसे निंदनीय करार दिया।
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने 'एक्स' पर लिखा, "यह कदम न केवल धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है, बल्कि संविधान के मूल सिद्धांतों का भी उल्लंघन करता है। रेलवे अधिकारियों ने यह दर्शाया है कि कैसे संघ परिवार की राजनीति ने प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्थानों को कमजोर किया है।"
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आरएसएस देश में सांप्रदायिक विभाजन और नफरत फैलाने का कार्य करता है और उसके गीत को किसी सरकारी कार्यक्रम का हिस्सा बनाना संवैधानिक मूल्यों के साथ विश्वासघात है। दक्षिण रेलवे द्वारा छात्रों से आरएसएस का गणगीत गवाना पूरी तरह अस्वीकार्य है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रेलवे जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठान को संघ परिवार की सांप्रदायिक राजनीति का मंच नहीं बनने देना चाहिए। यह दुखद है कि भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक उपक्रमों में से एक, रेलवे, अब संघ के राजनीतिक प्रचार के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि जब दक्षिण रेलवे ने इस गणगीत को “एक देशभक्ति गीत” के नाम से सोशल मीडिया पर साझा किया, तो उसने न केवल अपनी साख को ठेस पहुंचाई, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के धर्मनिरपेक्ष आदर्शों का भी अपमान किया।
मुख्यमंत्री के अनुसार स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतीय रेलवे ने राष्ट्रीय एकता का प्रतीकात्मक रूप निभाया था, जबकि अब वह सांप्रदायिक एजेंडे को बढ़ावा देने का माध्यम बनती दिख रही है।
उन्होंने कहा कि वंदे भारत सेवा के उद्घाटन समारोह में उग्र हिन्दुत्ववादी राजनीति की झलक देखने को मिली, जो देश की धर्मनिरपेक्ष परंपरा के खिलाफ है। उन्होंने इसे धर्मनिरपेक्षता को नष्ट करने की संकीर्ण राजनीतिक मानसिकता बताया और लोगों से इस तरह की प्रवृत्तियों का एकजुट होकर विरोध करने की अपील की।
विजयन के इस बयान के बाद राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है, जबकि दक्षिण रेलवे की ओर से अब तक इस विवाद पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।