क्या जनवरी 2026 में सीएम योगी उत्तर प्रदेश स्वच्छ वायु प्रबंधन परियोजना का शुभारंभ करेंगे?
सारांश
Key Takeaways
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा जनवरी 2026 में परियोजना का शुभारंभ।
- विश्व बैंक के सहयोग से यूपीसीएएमपी का कार्यान्वयन।
- वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों पर ध्यान केंद्रित।
- 39 लाख परिवारों को स्वच्छ खाना पकाने के समाधान।
- लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और गोरखपुर में इलेक्ट्रिक परिवहन का विकास।
लखनऊ, 13 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। वायु प्रदूषण की बढ़ती समस्या का सामना करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनवरी 2026 में उत्तर प्रदेश स्वच्छ वायु प्रबंधन परियोजना (यूपीसीएएमपी) का शुभारंभ करेंगे। इस परियोजना के शासी निकाय का नेतृत्व उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव करेंगे, जबकि प्रमुख सचिव और अपर मुख्य सचिव सदस्य के रूप में शामिल होंगे。
वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या से निपटने के लिए योगी सरकार विश्व बैंक के सहयोग से यूपीसीएएमपी परियोजना लागू कर रही है। हाल ही में, यूपीसीएएमपी प्राधिकरण के शासी निकाय की दूसरी बैठक मुख्य सचिव की अध्यक्षता में संपन्न हुई, जिसमें पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग सहित अन्य संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
बैठक में मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि परियोजना के कार्यान्वयन से संबंधित सभी जरूरी कदमों की प्रगति की अद्यतन जानकारी आगामी बैठक में प्रस्तुत की जाए। इस परियोजना की चर्चा 3 नवंबर को नई दिल्ली में आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए), विश्व बैंक और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच हुई थी। 10 दिसंबर को विश्व बैंक के निदेशक मंडल ने परियोजना को औपचारिक मंजूरी भी दी।
शासी निकाय को परियोजना की संरचना, वित्तपोषण व्यवस्था और विशेष प्रयोजन वाहन के रूप में गठित यूपीसीएएमपी प्राधिकरण के माध्यम से कार्यान्वयन की विस्तृत जानकारी दी गई। यूपीसीएएमपी भारत की पहली वायुक्षेत्र-आधारित वायु गुणवत्ता प्रबंधन परियोजना है, जिसका उद्देश्य इंडो-गंगा के मैदानों में वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों को लक्षित करना है। यह परियोजना विश्व बैंक द्वारा आईआईटी कानपुर, आईआईटी दिल्ली और नॉर्वेजियन इंस्टीट्यूट फॉर एयर रिसर्च (एनआईएलयू) के सहयोग से किए गए व्यापक वैज्ञानिक अध्ययनों पर आधारित है।
इसमें ऑस्ट्रिया के आईआईएएसए द्वारा विकसित जीएआईएनएस मॉडल का उपयोग किया गया है। यूपीसीएएमपी का कुल बजट 304.66 मिलियन अमेरिकी डॉलर है, जिसमें 299.66 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण (लगभग 46,188 करोड़ येन के बराबर) और 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान शामिल है। यह परियोजना 2025 से 2031 तक छह वर्षों में चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी।
परियोजना का मुख्य ध्यान उद्योग, परिवहन, कृषि, सड़क की धूल, अपशिष्ट प्रबंधन और स्वच्छ खाना पकाने जैसे क्षेत्रों पर है, ताकि उत्सर्जन में कमी के लिए एक समन्वित और प्रभावी रणनीति अपनाई जा सके। इसका प्रमुख उद्देश्य वायुक्षेत्र आधारित वायु गुणवत्ता प्रबंधन को सुदृढ़ करना और विभिन्न क्षेत्रों में उत्सर्जन को कम करना है। इसके तहत लगभग 39 लाख परिवारों को स्वच्छ खाना पकाने के समाधान मुहैया कराए जाएंगे। लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और गोरखपुर में 15,000 इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर और 500 इलेक्ट्रिक बसों के संचालन से स्वच्छ परिवहन को बढ़ावा दिया जाएगा, जबकि 13,500 प्रदूषणकारी भारी वाहनों के प्रतिस्थापन के लिए प्रोत्साहन भी दिया जाएगा।
कृषि और पशुधन प्रबंधन में नाइट्रोजन निगरानी प्रणालियों की तैनाती, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों की प्रयोगशालाओं को मजबूत करना और खाद आधारित उर्वरकों तथा बायोगैस स्लरी के मानकीकृत उपयोग के माध्यम से पशुधन अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार किया जाएगा। औद्योगिक क्षेत्र में यूपीसीएएमपी संसाधन-कुशल ईंट निर्माण और टनल भट्टों को अपनाने के लिए प्रोत्साहन देगा।
इसके साथ ही औद्योगिक क्लस्टरों के लिए स्वच्छ वायु प्रबंधन योजनाएं तैयार की जाएंगी और मिनी बॉयलर से सामान्य बॉयलर सुविधाओं में परिवर्तन के लिए नीति निर्माण और व्यवहार्यता अध्ययन किया जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार वायु प्रदूषण में प्रभावी कमी लाने के लिए पड़ोसी राज्यों के साथ सहयोग बढ़ाकर सीमा-पार उत्सर्जन की समस्या से निपटने की रणनीति अपनाएगी, जिससे कम लागत में अधिक प्रभावी परिणाम सुनिश्चित हो सकें।