क्या कांग्रेस का 'अरावली बचाओ आंदोलन' करौली में तेज हो गया है?
सारांश
Key Takeaways
- अरावली पर्वतमाला का संरक्षण आवश्यक है।
- केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियाँ पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रही हैं।
- हर नागरिक को इस आंदोलन में भाग लेना चाहिए।
- यह आंदोलन महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा कर रहा है।
- जन जागरूकता इस आंदोलन की सफलता के लिए जरूरी है।
करौली, 27 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस ने अरावली पर्वतमाला के संरक्षण को लेकर करौली में एक शक्तिशाली जन-आंदोलन का आगाज़ किया है। शनिवार को कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने जिले में पैदल मार्च और प्रदर्शन आयोजित किया। उनका दावा है कि केंद्र और राज्य की सरकारें खनन के जरिए अरावली को क्षति पहुँचा रही हैं, जिससे पर्यावरण संतुलन और प्रदेश की पहचान दोनों के लिए खतरा उत्पन्न हो रहा है।
यह आंदोलन जिला कांग्रेस कमेटी करौली द्वारा ‘अरावली बचाओ जन-आंदोलन’ के तहत आयोजित किया गया। मासलपुर मोड़ चुंगी नाका से प्रारंभ हुआ पैदल मार्च कलेक्ट्रेट के समक्ष सिटी पार्क तक पहुँचा, जहाँ प्रदर्शनकारियों ने अरावली की सुरक्षा की मांग को जोरदार तरीके से उठाया। इस पैदल मार्च का नेतृत्व कांग्रेस जिला अध्यक्ष और टोडाभीम विधायक घनश्याम मेहर ने किया। इस दौरान पीसीसी सचिव भूपेंद्र भारद्वाज और बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
अन्य लोगों ने बताया कि अरावली केवल राजस्थान की ऐतिहासिक धरोहर नहीं है, बल्कि यह रेगिस्तान के विस्तार को रोकने, धूलभरी आंधियों से रक्षा और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त, पर्वतमाला पर कई प्राचीन देवालय भी स्थित हैं, जो इसे आस्था का केंद्र बनाते हैं।
विधायक घनश्याम मेहर ने कहा कि देश और प्रदेश की जनता को अब कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की आवश्यकता है। चाहे वह सड़कों पर हो, संसद में हो या विधानसभा में, कांग्रेस हर जगह जनता के लिए संघर्ष करती रहेगी। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अनुरोध किया कि हर मंडल, हर ब्लॉक और हर बूथ स्तर पर लोगों को जागरूक करें और अरावली पर्वत को बचाने के इस अभियान में अधिक से अधिक लोगों को शामिल करें। इसी संदर्भ में रविवार को 3 किलोमीटर की पदयात्रा निकाली जाएगी, जिसमें हर ब्लॉक से बड़ी संख्या में लोग भाग लेंगे।
प्रदर्शन के बाद कांग्रेसजनों ने मनरेगा और रोजगार को लेकर कार्यक्रम भी आयोजित किए। उन्होंने सरकार से रोजगार, पर्यावरण संरक्षण और खनन जैसी समस्याओं पर ठोस कदम उठाने की मांग की।