क्या सीपीआई एम ने आरएसएस पर डाक टिकट और नए सिक्के को लेकर केंद्र की आलोचना की?

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क्या सीपीआई एम ने आरएसएस पर डाक टिकट और नए सिक्के को लेकर केंद्र की आलोचना की?

सारांश

सीपीआई (एम) ने आरएसएस की 100वीं वर्षगांठ पर केंद्र सरकार की आलोचना की है। यह आलोचना डाक टिकट और नए सिक्के की जारी करने की प्रक्रिया को लेकर है, जिसे पार्टी ने भारत के संविधान पर गंभीर आघात मानते हुए निंदा की है। जानिए इस विवाद के पीछे की सच्चाई।

Key Takeaways

  • सीपीआई (एम) ने आरएसएस पर कड़ी आलोचना की।
  • डाक टिकट और नए सिक्के को लेकर उठे सवाल।
  • संविधान पर आघात का आरोप।
  • आरएसएस की भूमिका पर विवाद।

कोलकाता, 1 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। सीपीआई (एम) ने बुधवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना की 100वीं वर्षगांठ पर डाक टिकट और 100 रुपए का सिक्का जारी करने के संबंध में केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की।

सीपीआई (एम) द्वारा जारी एक बयान में, पार्टी की पोलित ब्यूरो ने इसे भारत के संविधान पर एक गंभीर आघात और अपमान करार दिया, जिसे आरएसएस ने कभी स्वीकार नहीं किया।

पार्टी के अनुसार, यह अत्यंत अपमानजनक है कि एक आधिकारिक सिक्के पर एक हिंदू देवी 'भारत माता' की छवि अंकित हो, जिसे आरएसएस अपनी सांप्रदायिक अवधारणा के प्रतीक के रूप में प्रचारित करता है।

पोलित ब्यूरो के बयान में कहा गया, "1963 के गणतंत्र दिवस परेड में वर्दीधारी आरएसएस स्वयंसेवकों को दिखाने वाला डाक टिकट भी इतिहास को झूठा साबित करता है। यह इस झूठ पर आधारित है कि नेहरू ने भारत-चीन युद्ध के दौरान आरएसएस की देशभक्ति को मान्यता देने के लिए उसे 1963 के गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था, जबकि साक्ष्यों से यह साबित हो चुका है कि उस परेड में एक लाख से अधिक नागरिकों का एक विशाल जमावड़ा था। वर्दीधारी आरएसएस स्वयंसेवकों की उपस्थिति, यदि थी भी, तो अप्रकाशित और आकस्मिक थी।"

पार्टी नेतृत्व ने दावा किया कि आरएसएस की स्थापना की 100वीं वर्षगांठ मनाने के लिए जारी किए गए डाक टिकट और नए सिक्के की पूरी कवायद आरएसएस की भूमिका को छिपाने के लिए है। यह न केवल स्वतंत्रता संग्राम से दूर रहा, बल्कि वास्तव में फूट डालो और राज करो की ब्रिटिश रणनीति को मजबूत किया। इसने भारत के लोगों की एकता को कमजोर करने की कोशिश की, जो औपनिवेशिक शासन के खिलाफ संघर्ष का एक महत्वपूर्ण घटक था।

पोलित ब्यूरो के बयान में कहा गया है, "स्वतंत्र भारत के इतिहास ने सबसे भीषण सांप्रदायिक हिंसा देखी है, जिसमें आरएसएस की भूमिका का विस्तार से आधिकारिक जांच आयोगों की कई रिपोर्टों में उल्लेख किया गया है। आज, आरएसएस और उसका परिवार ही मनुवादी विचारधाराओं को बढ़ावा देकर अल्पसंख्यक समुदायों और समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों को निशाना बना रहा है।"

Point of View

बल्कि यह एक सार्वजनिक बहस का हिस्सा है जो भारत के संविधान और उसके मूल्यों की रक्षा के लिए आवश्यक है। यह जरूरी है कि हम सभी पक्षों को सुनें और एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाएं।
NationPress
01/10/2025

Frequently Asked Questions

सीपीआई (एम) ने आरएसएस की आलोचना क्यों की?
सीपीआई (एम) ने आरएसएस की 100वीं वर्षगांठ पर डाक टिकट और नए सिक्के की जारी करने को लेकर इसे भारत के संविधान पर गंभीर आघात बताया।
क्या आरएसएस ने स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया?
सीपीआई (एम) का दावा है कि आरएसएस ने स्वतंत्रता संग्राम से दूर रहकर ब्रिटिश नीति 'फूट डालो और राज करो' को मजबूत किया।