क्या सीक्यूबी कार्बाइन और हैवीवेट टॉरपीडो के लिए 4,666 करोड़ रुपए का करार महत्वपूर्ण है?
सारांश
Key Takeaways
- 4,666 करोड़ रुपए का करार भारतीय सेना और नौसेना के लिए है।
- सीक्यूबी कार्बाइन की 4.25 लाख यूनिट्स का अधिग्रहण होगा।
- हैवीवेट टॉरपीडो भारतीय नौसेना की कलवरी क्लास सबमरीन की क्षमता बढ़ाएंगे।
- यह समझौता आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- रक्षा मंत्रालय ने अब तक 1,82,492 करोड़ रुपए के अनुबंध किए हैं।
नई दिल्ली, 30 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। क्लोज क्वार्टर बैटल (सीक्यूबी) कार्बाइन और भारतीय नौसेना के हैवीवेट टॉरपीडो की खरीद के लिए मंगलवार को महत्वपूर्ण समझौते संपन्न हुए हैं। इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने कुल 4,666 करोड़ रुपए की लागत के अनुबंध किए हैं।
30 दिसंबर को इन महत्वपूर्ण अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए। ये करार नई दिल्ली स्थित रक्षा मंत्रालय, साउथ ब्लॉक में रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की उपस्थिति में हुए। ये अनुबंध भारतीय थलसेना और भारतीय नौसेना के लिए हैं। समझौते के अनुसार, 4.25 लाख से अधिक सीक्यूबी कार्बाइन की खरीद के लिए 2,770 करोड़ रुपए का करार भारत फोर्ज लिमिटेड के साथ किया गया है। यह निर्णय भारतीय सेना की मारक क्षमता को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इससे पुराने हथियारों को स्वदेशी तकनीक से बने आधुनिक प्रणालियों द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा।
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य के अनुरूप यह समझौता सरकार और निजी क्षेत्र के बीच बढ़ती सामंजस्यपूर्ण साझेदारी का भी प्रमाण है। इस परियोजना से रोजगार सृजन, एमएसएमई को प्रोत्साहन तथा रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में घरेलू उद्योगों की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। सीक्यूबी कार्बाइन आधुनिक पैदल सैनिक के हथियार शस्त्रागार का प्रमुख हथियार मानी जाती है। इसका कॉम्पैक्ट डिजाइन और उच्च फायरिंग दर इसे सीमित और संकुचित जगहों में निर्णायक बढ़त प्रदान करती है।
युद्धक्षेत्र में तीव्र और सटीक मारक क्षमता सीक्यूबी कार्बाइन को बेहद प्रभावी बनाती है। यही कारण है कि इससे भारतीय सेनाओं की क्लोज कॉम्बैट क्षमताओं में उल्लेखनीय मजबूती आएगी। वहीं रक्षा मंत्रालय ने हैवी वेट टॉरपीडो की खरीद के लिए 1,896 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से एक अन्य समझौता किया है।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार डब्ल्यूएएसएस सबमरीन सिस्टम्स एसआरएल, इटली के साथ 48 टॉरपीडो और संबंधित उपकरणों के अधिग्रहण और एकीकरण हेतु यह समझौता किया गया है। ये टॉरपीडो भारतीय नौसेना की कलवरी क्लास सबमरीन (प्रोजेक्ट-75) की मारक क्षमता में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी करेंगे।
अप्रैल 2028 से इनकी आपूर्ति शुरू होगी और यह प्रक्रिया 2030 की शुरुआत तक पूरी होने की उम्मीद है। उन्नत तकनीकी विशेषताओं से लैस ये टॉरपीडो भारतीय पनडुब्बियों की संचालन क्षमता को और अधिक घातक व परिष्कृत बनाएंगे। सरकार ने नौसेना की परिचालन जरूरतों को पूरा करने और अत्याधुनिक तकनीकों के समावेश को निरंतर प्राथमिकता देने की प्रतिबद्धता दोहराई है।
गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2025-26 में रक्षा मंत्रालय अब तक कुल 1,82,492 करोड़ रुपए के पूंजीगत अनुबंध कर चुका है, जो भारतीय सशस्त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण अभियान का स्पष्ट संकेत है।