क्या डेविड स्जेले को मिला बुकर प्राइज? जूरी ने क्यों माना 'फ्लेश' है 'सिंगुलर अचीवमेंट'?
सारांश
Key Takeaways
- फ्लेश उपन्यास ने जूरी का ध्यान अपनी अनोखी शैली से आकर्षित किया।
- यह उपन्यास रोजमर्रा के संघर्षों को गहराई से दर्शाता है।
- जूरी के अनुसार, यह एक विलक्षण उपलब्धि है।
- फ्लेश में पात्रों की चुप्पियों का गहरा अर्थ है।
- यह किताब पाठकों को अपने अनुभव में शामिल होने का आमंत्रण देती है।
नई दिल्ली, 11 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। लंदन में हुए बुकर प्राइज 2025 समारोह में डेविड शजाले के नवीनतम उपन्यास फ्लेश को वह सम्मान मिला, जिसकी अनदेखी करना कठिन था। जूरी ने इसे "सिंगुलर अचीवमेंट" (विशिष्ट उपलब्धि) कहा—एक ऐसा उपन्यास जिसे, उनके अनुसार, उन्होंने "पहले कभी नहीं पढ़ा।" फ्लेश को यह विशेष स्थान न केवल इसके विषयों के कारण, बल्कि इसकी अद्वितीय शैली, उसकी चुप्पियों, और उसके पात्र 'इस्तवां' की उस मौजूदगी से मिला है, जो पन्नों के बीच होते हुए भी अज्ञात बनी रहती है।
कहानी का नायक इस्तवां हंगरी की श्रमिक-कालोनियों में पला-बढ़ा, फिर बेहतर जीवन की खोज में ब्रिटेन पहुंचा और वहां एक ऐसी दुनिया में खुद को पाता है जहां वर्ग, शरीर, श्रम और अस्तित्व एक-दूसरे में उलझते हुए उसकी पहचान को लगातार परिवर्तित करते हैं। कहानी किसी बड़े प्लॉट या भावनात्मक उतार-चढ़ाव के बजाय छोटे, लगभग अनकहे क्षणों से बनती है—वे पल जो एक व्यक्ति के मन, उसके कार्य, उसकी इच्छाओं और असफलताओं को वास्तव में उजागर करते हैं।
संवाद छोटे हैं—“ओके” और “आई डोंट नो”—जैसे वाक्य, जिनके पीछे छिपी हुई थकावट, दूरी और असहायता पाठक पर उतर आती है। बुकर प्राइज जूरी ने इसी संक्षिप्तता को इसकी सबसे बड़ी ताकत बताया, क्योंकि लेखक ने भाषा को जटिल बनाए बिना एक ऐसे जीवन की परतें खोली हैं जिसे साहित्य में अक्सर स्थान नहीं मिलता। यह पुरुषत्व के उस रूप की खोज है जो न तो नायकत्व से भरा है, न नैतिकता के बड़े भाषणों से, बल्कि रोज़ के संघर्ष, शरीर की सीमाओं, काम की कठोरता और अपनेपन की खोज से बना है।
आयोजकों ने इसे "क्लास, पावर (सत्ता), इंटीमेसी (आत्मीयता), माइग्रेशन (प्रवासन), और मैस्कुलेनिटी (पुरुषत्व) पर एक गहरा मेडिटेशन (ध्यान)" बताया—एक ऐसी यात्रा जो एक इंसान के उन अनुभवों को पकड़ती है जो जीवन के दशकों में भीतर ही भीतर गूंजते रहते हैं। लंदन के ओल्ड बिलिंग्सगेट में मंच पर पुरस्कार स्वीकार करते हुए स्जेले ने कहा कि उनकी यह किताब "एक जोखिम" थी। उन्होंने मुस्कुराते हुए याद किया कि कभी उन्होंने अपनी संपादक से पूछा था, "क्या आप कल्पना कर सकती हैं कि 'फ्लेश' नाम की किताब बुकर प्राइज जीत सकती है?" और फिर उन्होंने खुद ही (मंच से पुरस्कार प्राप्त करते हुए) उत्तर दिया—"अब आपको जवाब मिल गया।"
लेकिन फ्लेश की सबसे बड़ी ताकत वह है जिसे जजों के चेयर रॉडी डॉयले ने अपने बयान में विश्लेषित किया। डॉयले ने बताया कि छह शॉर्टलिस्टेड पुस्तकों पर पांच घंटे की चर्चा के बाद भी जूरी बार-बार फ्लेश पर लौटती रही क्योंकि यह बाकी सभी से अलग थी—“हमने इससे पहले ऐसी कोई चीज नहीं पढ़ी थी।” उन्होंने कहा कि यह उपन्यास कई तरीकों से "डार्क" है, मगर इसे पढ़ना एक आनंद है, एक ऐसा अनुभव जो पाठक को पन्ना पलटते समय जीवित होने का एहसास कराता है।
डॉयले ने इस बात पर विशेष ध्यान दिलाया कि उपन्यास किस तरह सफेद खाली जगह (व्हाइट स्पेस) का उपयोग करता है। इस्तवां के बारे में पाठक जानता है, लेकिन वह कैसा दिखता है, यह कभी स्पष्ट नहीं होता; और फिर भी यह कोई कमी नहीं महसूस होती। वह एक उम्र में गंजेपन की ओर बढ़ता दिखता है क्योंकि वह दूसरे आदमी के बालों को ईर्ष्या के साथ देखता है; वह दुख में डूबा है, यह इसलिए पता चलता है क्योंकि पन्नों पर कई पंक्तियों तक शब्द नहीं हैं। इन खाली जगहों ने जूरी को प्रभावित किया, क्योंकि इन्हीं के बीच लेखक पाठकों को आमंत्रित करता है कि वे खुद इस पात्र को पूरा करें—मानो इस्तवान उनके साथ मिलकर बन रहा हो।
साधारण, संयत और किफायती भाषा में लिखी गई यह कहानी हर शब्द का वजन महसूस कराती है। डॉयले ने कहा, "हर शब्द मायने रखता है; शब्दों के बीच की जगह भी मायने रखती है।" फ्लेश जीवन के अनोखेपन और उसके प्रवाह को इस तरह पकड़ता है कि पाठक खुद को उसी अनुभव का हिस्सा समझता है, जैसे वह किसी व्यक्तिगत, गूंजती हुई याद में प्रवेश कर गया हो।
इसी विशिष्टता ने फ्लेश को इस साल का बुकर प्राइज दिलाया—एक ऐसी किताब जो न केवल अपने पात्र के भीतर उतरती है, बल्कि पाठक को भी उसके साथ बदलने पर मजबूर कर देती है। यह उपन्यास अपने समय की उन दुर्लभ साहित्यिक कृतियों में से एक है जिनके पन्नों में जितना लिखा गया है, उतना ही अनलिखा भी, और शायद वहीं उसका जादू है।