क्या पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित कॉलेजों के समक्ष चुनौतियाँ हैं?

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क्या पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित कॉलेजों के समक्ष चुनौतियाँ हैं?

सारांश

पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों में कॉलेजों के समक्ष चुनौतियों पर आयोजित एक सम्मेलन में राज्यपाल ने शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। यह सम्मेलन न केवल समस्याओं को उजागर करता है बल्कि उनके समाधान पर भी चर्चा करता है। क्या ये कदम क्षेत्र के विकास में सहायक होंगे?

Key Takeaways

  • सीमावर्ती क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देना जरूरी है।
  • लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना आवश्यक है।
  • शैक्षिक बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
  • छात्रों के लिए वित्तीय सहायता के अवसरों का विस्तार करना चाहिए।

चंडीगढ़, 28 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पंजाब के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित कॉलेजों के प्राचार्यों का एक दिवसीय सम्मेलन चंडीगढ़ के लोक भवन में संपन्न हुआ। इस सम्मेलन की अध्यक्षता पंजाब के राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने की।

इस अवसर पर, राज्यपाल ने सीमावर्ती क्षेत्रों के उच्च शिक्षण संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और कहा कि बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से लड़कियों को सशक्त बनाना सामाजिक प्रगति और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए आवश्यक है।

राज्यपाल ने इन क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप, बेहतर शैक्षणिक सहायता, और कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया।

उन्होंने विश्वविद्यालयों से अपील की कि वे सीमावर्ती क्षेत्रों के कॉलेजों को गोद लें और उनको शैक्षणिक उन्नयन, डिजिटल लर्निंग, और समकालीन पाठ्यक्रमों में मार्गदर्शन करें। उन्होंने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालयों को इन क्षेत्रों में अपने कैंपस या विस्तार केंद्र खोलने पर विचार करना चाहिए।

सम्मेलन में पंजाब के सीमावर्ती जिलों के उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा सामना की जाने वाली प्रमुख समस्याओं पर गहन विचार-विमर्श किया गया, जिसमें शैक्षणिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और छात्र सहायता तंत्र में सुधार के लिए रणनीतियों पर चर्चा की गई।

कार्यक्रम की शुरुआत लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, जालंधर के कुलपति प्रोफेसर जसपाल संधू द्वारा हुई। प्रोफेसर अश्वनी भल्ला ने कॉलेजों की समस्याओं और संभावित समाधानों पर एक संबोधन दिया।

डॉ. सुनीता सिवाच ने छात्रवृत्ति योजनाओं पर चर्चा की और सीमावर्ती क्षेत्रों के छात्रों के लिए वित्तीय सहायता के अवसरों पर प्रकाश डाला।

प्रोफेसर डॉ. अखिलेश गुप्ता ने “मूल अनुसंधान से बाजार में क्रियान्वयन” विषय पर विशेष संबोधन दिया।

सम्मेलन में एनएएसी से संबंधित विषयों पर एक समर्पित सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें मान्यता से जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा की गई।

Point of View

बल्कि यह सामाजिक स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है। सरकार और विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग से ही हम इन चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
NationPress
28/12/2025

Frequently Asked Questions

इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों के कॉलेजों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करना और समाधान खोजना था।
राज्यपाल ने किन विषयों पर जोर दिया?
राज्यपाल ने बालिका शिक्षा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शैक्षणिक सहयोग पर जोर दिया।
सम्मेलन में किन प्रमुख व्यक्तियों ने भाग लिया?
सम्मेलन में पंजाब के राज्यपाल, विश्वविद्यालयों के कुलपति, और शैक्षणिक विशेषज्ञ शामिल हुए।
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