क्या दीपावली से पहले जीएसटी 2.0 एक मास्टरस्ट्रोक है?

सारांश
Key Takeaways
- जीएसटी सुधार से बिक्री में वृद्धि हुई है।
- 80 प्रतिशत उत्पाद भारतीय हैं।
- स्वदेशी उत्पादों की मांग बढ़ी है।
- दीपावली पर रोजगार के नए अवसर बने हैं।
- यह निर्णय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है।
नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मोदी सरकार द्वारा दीपावली से पूर्व जीएसटी का लागू होना एक मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ है। इसने फेस्टिव सीजन में बिक्री को उच्चतम स्तर पर पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इंडस्ट्री विशेषज्ञों की ओर से यह जानकारी बुधवार को साझा की गई।
दीपावली पर फेस्टिव सेल्स के 6 लाख करोड़ के आंकड़े को पार करने के संभावित सवाल पर, पीएचडीसीसीआई के CEO और महासचिव डॉ. रणजीत मेहता ने कहा, "फेस्टिव सीजन में सेल्स के इस आंकड़े को छूने के कई कारण हैं। पहला, जीएसटी सुधार को दीपावली से पहले लागू करना एक मास्टरस्ट्रोक था। इससे मांग को बढ़ावा मिला है। दूसरा, पीएम मोदी ने देशवासियों को स्वदेशी उत्पादों के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे देश में निर्मित उत्पादों की स्वीकृति में वृद्धि हुई है।"
उन्होंने आगे कहा कि इस फेस्टिव सीजन में बिकने वाले 80 प्रतिशत उत्पाद भारतीय थे, जो "वोकल फॉर लोकल" नारे की सफलता को दर्शाता है।
राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए, भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स, कोलकाता के अध्यक्ष नरेश पचीसिया ने कहा कि दीपावली पर ऐसी उपभोक्ता मांग कई वर्षों बाद देखने को मिली है। इसका मुख्य कारण जीएसटी सुधार है, जिसके परिणामस्वरूप कई उत्पादों पर जीएसटी काफी कम हो गया है। यह अर्थव्यवस्था के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है। साथ ही, 2025 के आम बजट में नई टैक्स प्रणाली के तहत पर्सनल इनकम टैक्स की छूट की सीमा 12 लाख रुपए तक करने की मांग का भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
ब्रिक्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष ने कहा, "मैंने पहले ही कहा था कि इस बार की दीपावली ऐतिहासिक होगी, और ऐसा ही हुआ। इसका पूरा श्रेय पीएम नरेंद्र मोदी को जाता है, जिन्होंने समय पर जीएसटी सुधार लागू किए।"
इंडस्ट्री बॉडी कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के अनुसार, जीएसटी दरों में कमी और स्थानीय या स्वदेशी उत्पादों की उच्च मांग के चलते, 2025 में दीपावली की बिक्री रिकॉर्ड 6.05 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गई है। दीपावली पर व्यापार में आई तेजी से लॉजिस्टिक्स, परिवहन, खुदरा सहायता, पैकेजिंग और डिलीवरी जैसे क्षेत्रों में लगभग 50 लाख लोगों के लिए अस्थायी रोजगार उत्पन्न होने का अनुमान है।