क्या दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने अलका लांबा के खिलाफ आरोप तय किए?
सारांश
Key Takeaways
- अलका लांबा के खिलाफ आरोपों की सुनवाई जारी है।
- महिला आरक्षण प्रदर्शन 2024 लोकसभा चुनाव से पहले हुआ।
- कोर्ट ने प्रथम दृष्टा मामला माना है।
नई दिल्ली, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस नेता अलका लांबा के खिलाफ महिला आरक्षण प्रदर्शन मामले में आरोप तय कर दिए हैं। अदालत ने कहा कि उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर अलका लांबा के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है।
यह मामला 2024 लोकसभा चुनाव से पहले जंतर-मंतर पर हुए एक प्रदर्शन से जुड़ा है, जिसमें अलका लांबा और उनके समर्थकों ने महिला आरक्षण को लागू करने की मांग को लेकर विरोध किया था। इसी प्रदर्शन के दौरान उन पर कई आरोप लगाए गए थे।
सूत्रों के अनुसार, अलका लांबा पर सरकारी कर्मचारियों के साथ झगड़ा करने, उनके कार्य में बाधा डालने, कानूनी आदेश की अवहेलना करने और सार्वजनिक रास्ता रोकने का आरोप है। इन आरोपों के लिए अब उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 132, 221, 223(ए) और 285 के तहत मुकदमा चलेगा।
सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि कांग्रेस नेता अलका लांबा ने प्रदर्शनकारियों को उकसाया, पुलिस की ड्यूटी में बाधा डाली और सड़क जाम किया। दूसरी ओर, बचाव पक्ष ने कहा कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण था और किसी भी पुलिसकर्मी को चोट लगने का कोई मेडिकल रिकॉर्ड नहीं है। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आरोप तय किए।
अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि अलका लांबा के खिलाफ सेक्शन 132/221/223(ए)/285 बीएनएस के तहत दंडनीय अपराधों के लिए प्रथम दृष्टा मामला बनता है। आरोपी के खिलाफ आरोप तय करने का निर्देश दिया जाता है। आरोपी द्वारा कार्यवाही को खत्म करने के लिए दायर की गई अर्जी को खारिज कर दिया जाता है।
कांग्रेस नेता अलका लांबा ने अपने खिलाफ दर्ज मामले से मुक्ति के लिए डिस्चार्ज अर्जी दाखिल की थी, लेकिन राऊज एवेन्यू कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
गौरतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस महिला आरक्षण बिल को लागू करने की मांग कर रही थी। इसी क्रम में अलका लांबा ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया था, जिसके दौरान कथित रूप से सरकारी कामकाज में व्यवधान उत्पन्न हुआ।