क्या सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ सख्त कदम उठाए?
सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाए हैं।
- एयर गुणवत्ता मॉनिटरिंग स्टेशन की कार्यप्रणाली में सुधार की आवश्यकता है।
- प्रदूषण के स्तर का सही आकलन आवश्यक है।
नई दिल्ली, 3 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की बढ़ती समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन से यह जानकारी मांगी है कि प्रदूषण के बढ़ते स्तर को नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। विशेष रूप से, उन्होंने जानना चाहा कि वर्तमान में कौन-कौन से एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन सक्रिय हैं और उनकी कार्यप्रणाली की स्थिति क्या है।
सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने कोर्ट को बताया कि कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह उल्लेख किया गया है कि दिल्ली के एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन सही तरीके से कार्य नहीं कर रहे हैं।
दीपावली के दिन कुल 37 मॉनिटरिंग स्टेशनों में से केवल 9 ही निरंतर कार्यशील थे। अपराजिता ने कोर्ट में सवाल उठाया कि यदि मॉनिटरिंग स्टेशन ही सही से काम नहीं करेंगे तो प्रदूषण के स्तर का सही मूल्यांकन कैसे किया जा सकेगा, जिससे यह स्पष्ट नहीं हो पाएगा कि ग्रैडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रैप) का कौन सा चरण लागू करने की आवश्यकता है।
उन्होंने सुझाव दिया कि एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन की कार्यक्षमता में सुधार लाना आवश्यक है और कमीशन से यह संपूर्ण रिपोर्ट मांगी जाए कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति को और बिगड़ने से रोकने के लिए उनके पास कौन सी योजनाएँ हैं।
कोर्ट में यह भी चर्चा की गई कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है। इसलिए एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन से अपेक्षा की गई है कि वह सभी मॉनिटरिंग स्टेशनों की कार्यशीलता की जानकारी प्रस्तुत करे और आवश्यक डेटा समय पर सुनिश्चित करे।