क्या दिल्ली में छात्रों के लिए 'यू-स्पेशल' बसें फिर से शुरू होंगी?

सारांश
Key Takeaways
- यू-स्पेशल बस सेवा फिर से शुरू हो रही है।
- बसों में आधुनिक सुविधाएं होंगी जैसे कि एसी और म्यूजिक सिस्टम।
- यह सेवा विशेष रूप से कॉलेज छात्रों के लिए है।
नई दिल्ली, 5 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंगलवार को लंबे समय से बंद 'यू-स्पेशल' बस सेवा को पुनः प्रारंभ करने का ऐलान किया। यह सेवा दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ और साउथ कैंपस के कॉलेज छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण सहूलियत थी।
सीएम गुप्ता ने दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े सोशल सेंटर स्कूल के नए शैक्षणिक ब्लॉक का उद्घाटन करते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह सेवा लगभग दो दशक पहले बसों की कमी के कारण बंद कर दी गई थी, लेकिन अब इसे आधुनिक सुविधाओं के साथ फिर से शुरू किया जाएगा।
नई 'यू-स्पेशल' बसों में एयर कंडीशनिंग, एलईडी लाइटिंग और म्यूजिक सिस्टम जैसी सुविधाएं होंगी, जिससे छात्रों को यात्रा में अधिक आरामदायक और सुविधाजनक अनुभव मिलेगा।
सीएम ने कॉलेज छात्रों को यात्रा में आने वाली कठिनाइयों को स्वीकार करते हुए कहा कि उनकी सरकार छात्रों के लिए सुरक्षित, विश्वसनीय और अनुकूल परिवहन व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
'यू-स्पेशल' बस सेवा की शुरुआत 1971 में हुई थी। ये बसें विशेष रूप से कॉलेज छात्रों के लिए चलाई जाती थीं और दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों से विश्वविद्यालय के कैंपस तक सीधी यातायात सेवा देती थीं। केवल छात्र ही इन बसों में यात्रा कर सकते थे। यह सेवा किफायती और समय की बचत करने वाली मानी जाती थी। दोपहर के बाद ये बसें वापसी की सेवाएं भी प्रदान करती थीं।
ज्ञात हो कि 1990 के दशक में प्राइवेट रेड लाइन और फिर ब्लू लाइन बसों के आने से डीटीसी की बसों की संख्या में कमी आई और अंततः 'यू-स्पेशल' सेवा बंद कर दी गई।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने 1947 में स्थापित सोशल सेंटर स्कूल के आधुनिक रूप की सराहना की। अब यह स्कूल चार मंजिला इमारत और 21 अत्याधुनिक कक्षाओं के साथ तैयार है।
उन्होंने घोषणा की कि अब इस स्कूल को कक्षा 12वीं तक की पढ़ाई के लिए आधिकारिक मान्यता दी जाएगी।
सीएम गुप्ता ने एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव देते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय से आग्रह किया कि वह जरूरतमंद सरकारी स्कूलों को गोद ले और विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं छात्र नियमित रूप से इन स्कूलों में जाकर छात्रों का मार्गदर्शन करें।
उन्होंने विश्वविद्यालय के छात्रों से अपील की कि वे जरूरतमंद पृष्ठभूमि के बच्चों के बड़े भाई-बहन की भूमिका निभाएं। उन्हें शिक्षा और जीवन के हर मोड़ पर सहयोग दें, ताकि वे मुख्यधारा से जुड़ सकें।
मुख्यमंत्री ने शिक्षा क्षेत्र की एक सामाजिक विडंबना की ओर ध्यान आकर्षित किया कि एक ओर माता-पिता अपने बच्चों को सरकारी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में भेजने के इच्छुक हैं, वहीं सरकारी स्कूलों को लेकर संकोच करते हैं। उन्होंने कहा, "यह झिझक सरकारी स्कूलों की छवि और गुणवत्ता को लेकर बनी गलतफहमियों के कारण है।"
उन्होंने कहा, "हमारी सरकार इस धारणा को बदलने के लिए प्रतिबद्ध है। हम दिल्ली के सरकारी स्कूलों को इस स्तर पर ले जा रहे हैं कि वे निजी स्कूलों से बेहतर बनें, ताकि माता-पिता गर्व से अपने बच्चों को इनमें दाखिला दिलवाएं।"