क्या दिल्ली में ग्रैप-4 के तहत नियम तोड़ने वाली 612 इंडस्ट्रीज पर कार्रवाई हो रही है?
सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली सरकार ने ग्रैप-4 के तहत सख्त कार्रवाई की है।
- 612 इंडस्ट्रीज नियमों का उल्लंघन करती पाई गईं हैं।
- वाहन प्रदूषण पर भी कड़ी निगरानी की जा रही है।
- निर्माण गतिविधियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
- स्थानीय अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी।
नई दिल्ली, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के निर्देशन में, दिल्ली सरकार ने ग्रैप-4 के तहत वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जमीनी स्तर पर प्रयास जारी रखे हैं। विभिन्न विभाग मिलकर उन सभी स्रोतों पर कठोर कार्रवाई कर रहे हैं जो दिल्ली की वायु को दूषित कर रहे हैं।
हाल के दिनों में औद्योगिक क्षेत्रों, रीडेवलपमेंट क्लस्टर्स और नॉन-कनफॉर्मिंग इलाकों में कुल 3,052 निरीक्षण किए गए। इन निरीक्षणों में इंडस्ट्रियल एरिया की 251, रीडेवलपमेंट जोन की 181 और नॉन-कनफॉर्मिंग क्षेत्रों की 180 यूनिट्स नियमों का पालन नहीं करती पाई गईं। इन 612 इंडस्ट्रीज के खिलाफ बंदी की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है, जबकि अन्य के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि ग्रैप-4 के लागू होने के बावजूद कुछ इंडस्ट्रीज और निर्माण स्थल नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। हमने स्पष्ट कर दिया है कि ग्रैप-4 के दौरान दिल्ली में कहीं भी निर्माण गतिविधि मिली तो तुरंत सीलिंग और कानूनी कार्रवाई की जाएगी। हमारी टीमें सक्रिय हैं और लापरवाही पर स्थानीय अधिकारियों के लिए जिम्मेदारी तय की जाएगी।
सरकार ने वाहन प्रदूषण के खिलाफ भी कठोर रुख अपनाया है। पिछले तीन दिनों में पूरे दिल्ली में चलाए गए विशेष अभियानों के दौरान 1 लाख से अधिक पीयूसीसी सर्टिफिकेट जारी किए गए। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस, परिवहन विभाग और एएनपीआर तकनीक से युक्त टीमों ने मिलकर बिना वैध पीयूसीसी और ग्रैप नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों पर कार्रवाई की।
इन तीन दिनों में 16,000 से ज्यादा वाहनों की जांच की गई और 12,000 से अधिक चालान किए गए। ग्रैप-4 के तहत 1,492 प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को वापस भेजा गया।
मंत्री ने निर्माण एजेंसियों और इंडस्ट्री संचालकों को एक कठोर संदेश देते हुए कहा कि ग्रैप-4 के दौरान यदि कोई भी अवैध या अनधिकृत निर्माण दिल्ली में पाया गया तो उसे बिना किसी चेतावनी के सील किया जाएगा। यही नियम उन इंडस्ट्रीज पर भी लागू होगा जो निर्धारित मानकों के बिना कार्य कर रही हैं। अनुमति का अर्थ छूट नहीं है; प्रत्येक यूनिट को प्रदूषण नियमों का पालन करना अनिवार्य है।
जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्रीय इंजीनियरों और जिला अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में निरंतर निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं। जहां भी उल्लंघन होगा, वहां जिम्मेदारी तय की जाएगी। साथ ही हालिया सर्वेक्षण में चिन्हित की गई इंडस्ट्रीज की पुनः जांच के लिए विशेष टीमें तैनात की गई हैं।