क्या दिल्ली में प्रदूषण मौसमी नहीं, बल्कि वर्षों की नीतिगत विफलताओं का नतीजा है: आशीष सूद?

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क्या दिल्ली में प्रदूषण मौसमी नहीं, बल्कि वर्षों की नीतिगत विफलताओं का नतीजा है: आशीष सूद?

सारांश

दिल्ली सरकार के मंत्री आशीष सूद ने प्रदूषण की समस्याओं को मौसमी नहीं, बल्कि नीतिगत विफलताओं का परिणाम बताया। उन्होंने पिछले 10 महीनों में उठाए गए कदमों और भविष्य की योजनाओं का जिक्र किया। क्या दिल्ली के प्रदूषण का समाधान संभव है?

Key Takeaways

  • प्रदूषणनीतिगत विफलताओं
  • आशीष सूद
  • दिल्ली सरकार दीर्घकालिक सुधारों पर कार्य कर रही है।
  • बच्चों के स्वास्थ्य के लिए एयर प्यूरीफायर
  • धूल प्रदूषणमैकेनिकल स्वीपिंग मशीन

नई दिल्ली, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली सरकार के शिक्षा, शहरी विकास, गृह एवं ऊर्जा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि राजधानी में प्रदूषण कोई मौसमी समस्या नहीं, बल्कि पिछली सरकारों की वर्षों की नीतिगत विफलताओं का परिणाम है। सचिवालय में आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने पिछले 10 महीनों में वर्तमान सरकार द्वारा उठाए गए ठोस कदमों और भविष्य की कार्ययोजना का विवरण दिया।

आशीष सूद ने आरोप लगाया कि पिछली सरकार ने विज्ञापनों और कथित झूठे आंकड़ों के जरिए जनता को गुमराह किया। उन्होंने कहा कि प्रदूषण से निपटने के बजाय केवल पीआर आधारित अभियानों पर जोर दिया गया।

मंत्री ने बताया कि कैग की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017-18 में लगाए गए करीब 30 प्रतिशत एक्यूआई मॉनिटरिंग स्टेशन जानबूझकर ग्रीन एरिया में स्थापित किए गए, जिससे प्रदूषण के वास्तविक स्तर को छिपाया जा सके।

उन्होंने कहा कि ‘ऑड-ईवन’ और ‘रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ’ जैसे अभियान वैज्ञानिक आधार से रहित थे और इन्हें केवल पीआर स्टंट के रूप में चलाया गया। सूद ने यह भी याद दिलाया कि सर्वोच्च न्यायालय को यह टिप्पणी करनी पड़ी थी कि विज्ञापनों के लिए तो धन है, लेकिन आरआरटीएस जैसे अहम परिवहन प्रोजेक्ट्स के लिए नहीं।

आशीष सूद ने कहा कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में सरकार दिखावटी उपायों के बजाय दीर्घकालिक प्रशासनिक सुधारों पर काम कर रही है।

11 अक्टूबर 2025 से निर्माण कार्यों में सीएंडडी वेस्ट से तैयार पुनर्चक्रित सामग्री का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है। इसके बिना सिविल कार्यों का भुगतान नहीं किया जाएगा। भलस्वा लैंडफिल को सितंबर 2026 तक समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके लिए 18 लाख मीट्रिक टन कचरे के निपटान का टेंडर जारी किया जा चुका है।

डेयरी वेस्ट के वैज्ञानिक निस्तारण के लिए नंगली सकरावती और घोगा डेयरी में बायोगैस प्लांट शुरू किए गए हैं।

धूल प्रदूषण को रोकने के लिए हर विधानसभा क्षेत्र में एक मैकेनिकल स्वीपिंग मशीन उपलब्ध कराई जाएगी। नगर निगम को सशक्त बनाने के लिए 175 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं, जबकि 500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सहायता प्रक्रियाधीन है।

पिछली सरकार द्वारा रोकी गई 45 करोड़ रुपये की ईवी सब्सिडी जारी करने का निर्णय लिया गया है। मेट्रो फेज-4 और आरआरटीएस परियोजनाओं में आ रही बाधाओं को दूर कर सार्वजनिक परिवहन को मजबूत किया जा रहा है।

मंत्री ने बताया कि बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए दिल्ली सरकार ने पहले चरण में 10,000 सरकारी स्कूल कक्षाओं में एयर प्यूरीफायर लगाने के लिए टेंडर जारी कर दिया है। आने वाले समय में सभी सरकारी स्कूलों को इस सुविधा से लैस करने का लक्ष्य है।

आशीष सूद ने कहा कि दिल्ली की भौगोलिक स्थिति के कारण पड़ोसी राज्यों की गतिविधियों का असर यहां की वायु गुणवत्ता पर पड़ता है, लेकिन स्थानीय स्तर पर ठोस कदम उठाकर इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। उन्होंने दोहराया कि सरकार दीर्घकालिक प्रशासनिक सुधारों के जरिए दिल्ली को स्वच्छ और स्वस्थ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

Point of View

लेकिन इसे केवल मौसमी घटनाओं के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। आशीष सूद की टिप्पणी इस बात की ओर इशारा करती है कि नीतिगत विफलताओं का एक लंबा इतिहास है। दीर्घकालिक सुधारों की आवश्यकता है, और वर्तमान सरकार कुछ ठोस कदम उठा रही है। यह एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय है, जिसके लिए सभी को एकजुट होना होगा।
NationPress
19/12/2025

Frequently Asked Questions

दिल्ली में प्रदूषण की मुख्य वजहें क्या हैं?
दिल्ली में प्रदूषण की मुख्य वजहों में वाहन प्रदूषण, औद्योगिक गतिविधियाँ, और निर्माण कार्य शामिल हैं।
आशीष सूद ने प्रदूषण से निपटने के लिए क्या कदम उठाए हैं?
आशीष सूद ने कई ठोस कदमों की घोषणा की है, जिनमें एयर प्यूरीफायर लगाने और मैकेनिकल स्वीपिंग मशीनों का उपयोग शामिल है।
क्या प्रदूषण केवल मौसमी समस्या है?
नहीं, मंत्री आशीष सूद के अनुसार, प्रदूषण एक दीर्घकालिक नीतिगत विफलता का परिणाम है।
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