क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने दिल्ली में 346 स्थानों पर पथ संचलन एवं विजयादशमी उत्सव का आयोजन किया?

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क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने दिल्ली में 346 स्थानों पर पथ संचलन एवं विजयादशमी उत्सव का आयोजन किया?

सारांश

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने विजयादशमी के अवसर पर अपने 100 वर्ष पूरे कर 101वें वर्ष में प्रवेश किया। दिल्ली में 346 स्थानों पर पथ संचलन और उत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें स्वयंसेवकों ने श्रद्धा और उत्साह के साथ भाग लिया। यह आयोजन संघ की समर्पण और सेवा की भावना को दर्शाता है।

Key Takeaways

  • आरएसएस ने विजयादशमी के अवसर पर 346 स्थानों पर पथ संचलन किया।
  • कार्यक्रम में समाज के सभी वर्गों का स्वागत किया गया।
  • उद्घाटन में 'पंच परिवर्तन' को अपनाने का आह्वान किया गया।
  • संघ का शताब्दी वर्ष प्रारंभ हुआ है।
  • समाज में सामाजिक समरसता पर जोर दिया गया।

नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने विजयादशमी के पावन अवसर पर अपनी यात्रा के 100 वर्ष पूरे कर 101वें वर्ष में कदम रखा। इसी दिन 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने संघ की स्थापना की थी। संघ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में, दिल्ली में 346 स्थानों पर मंडल स्तर पर श्री विजयादशमी उत्सव, शस्त्र पूजन और पथ संचलन का भव्य आयोजन किया गया।

पथ संचलन के दौरान, हजारों स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में घोष की धुन पर कदमताल करते हुए भाग लिया। वहीं, बड़ी संख्या में स्वयंसेवक व्यवस्था में जुटे रहे। विभिन्न कॉलोनियों और बस्तियों से गुजरते समय, समाज के सभी वर्गों, युवाओं, महिलाओं और प्रबुद्धजनों ने पुष्पवर्षा कर स्वयंसेवकों का गर्मजोशी से स्वागत किया।

कार्यक्रमों में समाज के गणमान्य व्यक्तियों को भी आमंत्रित किया गया था। पथ संचलन की समाप्ति पर विभिन्न स्थानों पर अखिल भारतीय, क्षेत्र एवं प्रांत के अधिकारियों ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया।

वक्ताओं ने संघ की स्थापना की आवश्यकता, उद्देश्य और इसकी 100 वर्ष की यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने राष्ट्र के परम वैभव के लिए स्वयंसेवकों और समाज से अपने दैनिक जीवन में 'पंच परिवर्तन' अपनाने का आह्वान किया। वहीं, सामाजिक समरसता, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली, स्वदेशी को अपनाना और नागरिक कर्तव्यों का पालन पर जोर दिया गया।

प्रांत संघचालक डॉ. अनिल अग्रवाल एवं अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार पश्चिम विहार में आयोजित श्री विजयादशमी उत्सव एवं पथ संचलन कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।

पथ संचलन के समापन पर अलग-अलग स्थानों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय, क्षेत्र एवं प्रांत के अधिकारियों द्वारा स्वयंसेवकों का प्रबोधन किया गया। विजयादशमी उत्सव के साथ ही संघ शताब्दी वर्ष प्रारंभ हो गया, जिसके अंतर्गत वर्षपर्यंत समाज द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें वृहद गृह संपर्क एवं हिन्दू सम्मेलन प्रमुख हैं।

Point of View

यह कहना आवश्यक है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह आयोजन न केवल एक ऐतिहासिक प्रतीक है, बल्कि समाज में एकता और सेवा की भावना को भी प्रोत्साहित करता है। यह आयोजन हमें याद दिलाता है कि समाज के हर वर्ग को एक साथ लाकर विकास और समरसता के मार्ग पर चलना है।
NationPress
02/10/2025

Frequently Asked Questions

विजयादशमी उत्सव का महत्व क्या है?
विजयादशमी उत्सव, अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है और यह समाज में एकता और सहयोग की भावना को बढ़ाने का अवसर है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना कब हुई थी?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा की गई थी।