क्या दिल्ली-एनसीआर में गाड़ियों से फैलने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए सीएक्यूएम ने विशेषज्ञ समिति बनाई?

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क्या दिल्ली-एनसीआर में गाड़ियों से फैलने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए सीएक्यूएम ने विशेषज्ञ समिति बनाई?

सारांश

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के बढ़ते स्तर से निपटने के लिए सीएक्यूएम ने विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। यह समिति वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए प्रभावी रणनीतियाँ विकसित करेगी। इसमें प्रमुख विशेषज्ञ और संस्थान जुड़े हैं। जानें समिति की कार्यप्रणाली और अपेक्षित सिफारिशें।

Key Takeaways

  • दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन।
  • वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने की रणनीतियाँ।
  • समिति में विभिन्न क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल हैं।
  • समिति की सिफारिशें दो महीने में उपलब्ध होंगी।
  • स्वच्छ गतिशीलता से संबंधित नीतियों की समीक्षा करेगा।

नई दिल्ली, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता लगातार गिरती जा रही है और इस समस्या के मुख्य कारणों में से एक है वाहनों से उत्पन्न प्रदूषण। वाहनों से निकलने वाले पीएम 2.5, नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड जैसे हानिकारक तत्व स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरों का कारण बन रहे हैं। इस समस्या से निपटने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इसके आस-पास के क्षेत्रों में एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन (सीएक्यूएम) ने एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है।

यह समिति वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए प्रभावी योजनाएँ विकसित करेगी। इसमें देश के प्रमुख शैक्षणिक एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञ, ऑटोमोटिव अनुसंधान संस्थानों के प्रतिनिधि और इस क्षेत्र के अन्य जानकार शामिल हैं। समिति की अध्यक्षता आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर अशोक झुनझुनवाला कर रहे हैं, जबकि सह-अध्यक्ष पूर्व एम्स निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया हैं।

अन्य सदस्यों में आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मुकेश शर्मा, लंग केयर फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. अरविंद कुमार, आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर साग्निक डे, नीति आयोग की सलाहकार अर्चना मित्तल, पुणे के एआरएआई के निदेशक डॉ. रेजी मथाई, मानेसर के आईसीएटी के निदेशक सौरभ दलेला, सीईईडब्ल्यू के सीईओ डॉ. अरुणाभ घोष, सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी, आईसीसीटी के मैनेजिंग डायरेक्टर अमित भट्ट और टीईआरआई की एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. अंजू गोयल शामिल हैं। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय तथा भारी उद्योग मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर या उससे ऊपर के अधिकारी भी इस समिति के सदस्य हैं। समिति के संयोजक सीएक्यूएम के तकनीकी सदस्य डॉ. वीरेंद्र शर्मा हैं।

समिति दिल्ली-एनसीआर में स्वच्छ गतिशीलता से संबंधित नीतियों, कार्यक्रमों और नियामक ढांचे की समीक्षा करेगी। इसमें भारत स्टेज उत्सर्जन मानक, इलेक्ट्रिक गतिशीलता पहल और ईंधन दक्षता मानक शामिल हैं। यह विभिन्न प्रकार के वाहनों से होने वाले प्रदूषण के योगदान और इससे जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों का आकलन करेगी और उत्सर्जन कम करने के लिए नियामक उपायों की सिफारिश करेगी। इसके अलावा, समिति इलेक्ट्रिक वाहनों की दिशा में तेजी से बदलाव के लिए तकनीकी तैयारी, बुनियादी ढांचे की जरूरत, लागत प्रभाव और प्रोत्साहन योजनाओं का भी अध्ययन करेगी। आवश्यकता पड़ने पर, वह अन्य उपाय भी सुझाएगी।

समिति दो महीने के भीतर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगी। आवश्यकता पड़ने पर वह हितधारकों से परामर्श भी करेगी और बीच में अंतरिम सिफारिशें भी दे सकती है। यह अतिरिक्त विशेषज्ञों या संस्थानों को भी शामिल कर सकती है। इसकी पहली बैठक 15 दिसंबर को होगी। इस समिति के गठन से दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सुधारने और लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए वैज्ञानिक आधार पर नीतिगत कदम उठाने की उम्मीद बढ़ गई है।

Point of View

बल्कि लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए प्रभावी उपाय भी सुझाएगी।
NationPress
12/12/2025

Frequently Asked Questions

सीएक्यूएम की विशेषज्ञ समिति का उद्देश्य क्या है?
इस समिति का उद्देश्य दिल्ली-एनसीआर में वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए प्रभावी रणनीतियाँ विकसित करना है।
समिति में कौन-कौन से सदस्य शामिल हैं?
समिति में प्रमुख शैक्षणिक और स्वास्थ्य विशेषज्ञ, ऑटोमोटिव अनुसंधान संस्थानों के प्रतिनिधि और अन्य जानकार शामिल हैं।
समिति की पहली बैठक कब होगी?
समिति की पहली बैठक 15 दिसंबर को होगी।
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