क्या दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण ने गंभीर स्थिति को छू लिया है?
सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर 'गंभीर' है।
- एक्यूआई 400 से ऊपर दर्ज किया गया है।
- स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
- बच्चों और बुजुर्गों को बाहर जाने से बचाने की सलाह।
- एयर प्यूरीफायर का उपयोग बढ़ाने की आवश्यकता।
नोएडा, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण ने एक बार फिर खतरनाक स्तर पर पहुँच गया है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के लगभग 90 प्रतिशत मॉनिटरिंग स्टेशनों पर एक्यूआई 400 से ऊपर दर्ज किया गया है, जो कि 'गंभीर' श्रेणी में आता है।
कई क्षेत्रों जैसे कि रोहिणी, बवाना, आरके पुरम, पंजाबी बाग, अशोक विहार, और वज़ीरपुर में प्रदूषण स्तर 430 से 450 के बीच बना हुआ है, जो फेफड़ों के लिए बेहद घातक माना जाता है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), आईएमडी और सीपीसीबी के स्टेशनों की रिपोर्ट बताती है कि हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा सामान्य से कई गुना अधिक है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, इतनी खराब हवा में केवल कुछ घंटों का संपर्क भी आंखों में जलन, गले में खराश, सांस फूलने, और दमा के मरीजों के लिए गंभीर खतरों का कारण बन सकता है। केवल दिल्ली ही नहीं, बल्कि नोएडा और गाजियाबाद भी घने प्रदूषण की चपेट में हैं।
नोएडा के सेक्टर-62, सेक्टर-125, सेक्टर-1, और सेक्टर-116 में एक्यूआई 350 से 390 के बीच दर्ज किया गया है। गाजियाबाद के इंदिरापुरम, लोनी, संजय नगर, और वसुंधरा में प्रदूषण स्तर कई जगह 410 के ऊपर पहुँच गया है। इस समय हवा में नमी, कम हवा की गति और तापमान में गिरावट के कारण प्रदूषक जमीन के करीब फंसे हुए हैं, जिससे स्थिति और बिगड़ रही है।
मौसम विभाग ने स्पष्ट किया है कि अगले कुछ दिनों में प्रदूषण से राहत की कोई उम्मीद नहीं है। न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है, जो स्मॉग के जमाव को और भी बढ़ाएगा। हवा की गति में सुधार न होने से प्रदूषक हवा में ही लटके रहेंगे।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों और डॉक्टरों ने सलाह दी है कि बाहर निकलते समय मास्क का उपयोग अनिवार्य करें, सुबह-शाम की वॉक से बचें, बच्चों और बुजुर्गों को अनावश्यक रूप से बाहर न ले जाएं, और घर में एयर प्यूरीफायर का उपयोग बढ़ाएं। ग्रेप के तहत कई प्रतिबंध लागू हैं, लेकिन प्रदूषण स्तर में अभी तक कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ है। दिल्ली-एनसीआर के निवासियों को आने वाले दिनों में भी इसी दमघोंटू हवा का सामना करना पड़ सकता है।
वायु गुणवत्ता लगातार ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी रहने के कारण दिल्ली-एनसीआर एक बार फिर गैस चेंबर की स्थिति की ओर बढ़ रहा है—और फिलहाल इससे राहत की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही।