क्या दिल्ली पुलिस ने नकली दवाओं के रैकेट का भंडाफोड़ किया और दो गिरफ्तार किए?
सारांश
Key Takeaways
- नकली दवाओं का भंडाफोड़
- गिरफ्तारी की संख्या: 2
- बरामद की गई नकली दवाओं की कीमत: 2.3 करोड़
- सुरक्षा मुद्दों का सामना करना
- दिल्ली पुलिस की सक्रियता
नई दिल्ली, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने नकली शेड्यूल-एच दवाओं के निर्माण, रीपैकेजिंग और देश भर में बिक्री में शामिल एक बड़े और संगठित रैकेट का भंडाफोड़ किया। इस कार्रवाई में 2.3 करोड़ रुपए से अधिक की नकली दवाएं और संबंधित सामान बरामद किया गया। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।
इस मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों की पहचान गाजियाबाद के लोनी में मीरपुर हिंदू गांव के रहने वाले गौरव भगत और दिल्ली के सबापुर के निर्मल विहार के रहने वाले श्री राम उर्फ विशाल गुप्ता के रूप में हुई है।
पुलिस ने बताया कि यह ऑपरेशन इंस्पेक्टर मंजीत कुमार के नेतृत्व में किया गया और एसीपी अनिल शर्मा ने इसकी देखरेख की।
खुफिया जानकारी और टेक्निकल सर्विलांस से मिली ग्राउंड-लेवल इंटेलिजेंस के आधार पर, साइबर सेल ने दिल्ली के बड़े थोक दवा और कॉस्मेटिक बाजारों में से एक सदर बाजार के तेलीवाड़ा में छापा मारा।
दिल्ली पुलिस ने एक प्रेस नोट में बताया कि छापेमारी के दौरान, साइबर सेल की टीम ने सदर बाजार से बड़ी मात्रा में नकली शेड्यूल-एच मलहम बरामद किए। बरामद नकली दवाओं में बेटनोवेट-सी और क्लोप-जी शामिल हैं। ये दवाएं स्पोर्ट्स चोटों और स्किन एलर्जी के इलाज के लिए बड़े पैमाने पर इस्तेमाल की जाती हैं, जिससे इनका नकली सर्कुलेशन अनजान उपभोक्ताओं के लिए बेहद खतरनाक है।
आगे की जानकारी के आधार पर, पुलिस ने बाद में नकली दवाओं के सोर्स का पता लगाया, जो लोनी के मीरपुर हिंदू गांव में चल रही एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट थी।
यूनिट पर छापे में बड़ी मात्रा में तैयार नकली दवाएं, कच्चे केमिकल, पैकिंग मटेरियल और मैन्युफैक्चरिंग मशीनरी बरामद हुई। यह कार्रवाई ड्रग इंस्पेक्टरों और संबंधित फार्मास्युटिकल कंपनियों के अधिकृत प्रतिनिधियों की मौजूदगी में की गई।
दिल्ली और उत्तर प्रदेश के नॉर्थ और सेंट्रल जोन के ड्रग इंस्पेक्टरों ने मौके पर जाकर जांच की और सैंपल लिए, जो बाद में नकली पाए गए।
पुलिस ने बताया कि उन्होंने पुष्टि की कि जब्त की गई दवाएं नकली थीं, उन्हें उनकी कंपनियों ने न तो बनाया था और न ही सप्लाई किया था, और आरोपी व्यक्तियों के पास ऐसी दवाएं बनाने, स्टोर करने या बेचने का कोई वैध लाइसेंस नहीं था।
12 दिसंबर को क्राइम ब्रांच पुलिस स्टेशन में भारतीय न्याय संहिता और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की संबंधित धाराओं के तहत एक एफआईआर दर्ज की गई।
डीसीपी आदित्य गौतम ने कहा कि पूरी सप्लाई चेन की पहचान करने और उसे खत्म करने के लिए आगे भी छापे मारे जा रहे हैं।