क्या देश के शीर्ष 7 शहरों में ग्रीन ऑफिस स्पेस में बीते छह वर्षों में 65 प्रतिशत की वृद्धि हुई है?

सारांश
Key Takeaways
- 65 प्रतिशत की वृद्धि ग्रीन ऑफिस स्पेस में पिछले 6 वर्षों में हुई है।
- बेंगलुरु में सबसे अधिक ग्रीन सर्टिफाइड स्पेस है।
- एनसीआर और हैदराबाद में भी अच्छी हिस्सेदारी है।
- बहुराष्ट्रीय कंपनियों का ग्रीन बिल्डिंग्स पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है।
- भारतीय आवास क्षेत्र में अभी भी बदलाव की आवश्यकता है।
मुंबई, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। देश के प्रमुख सात शहरों में ग्रेड ए के ग्रीन सर्टिफाइड ऑफिस स्पेस में पिछले छह वर्षों (2019 से) में 65 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इसका मुख्य कारण वैश्विक कंपनियों का ग्रीन बिल्डिंग्स पर ध्यान केंद्रित करना है। यह जानकारी सोमवार को जारी की गई एक रिपोर्ट में सामने आई है।
एनारॉक रिसर्च की रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि ग्रेड ए ऑफिस डेवलपर्स एलईईडी, आईजीबीसी या जीआरआईएचए सर्टिफाइड ऑफिस स्पेस का निर्माण तेजी से कर रहे हैं ताकि मांग के अनुरूप बने रह सकें। शीर्ष 7 शहरों में कुल 865 मिलियन वर्ग फुट ग्रेड ए ऑफिस स्टॉक में से लगभग 530 मिलियन वर्ग फुट ग्रेड ए ऑफिस स्टॉक 2025 की पहली छमाही तक ग्रीन सर्टिफाइड होगा। वहीं, यह आंकड़ा 2019 में लगभग 322 मिलियन वर्ग फुट था।
इन शीर्ष 7 शहरों में ग्रीन सर्टिफाइड इन्वेंट्री में 31 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ, बेंगलुरु 2025 की पहली छमाही में सबसे अधिक ग्रीन सर्टिफाइड ऑफिस स्पेस वाला शहर है, जो लगभग 163 मिलियन वर्ग फुट है।
एनसीआर लगभग 97 मिलियन वर्ग फुट या 18 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ ग्रीन सर्टिफाइड ऑफिस स्पेस में दूसरे स्थान पर है। इसके बाद हैदराबाद की हिस्सेदारी 16 प्रतिशत है। कोलकाता में सबसे कम ग्रीन सर्टिफाइड ऑफिस स्पेस है, जिसकी हिस्सेदारी 3 प्रतिशत है।
एनारॉक समूह के अध्यक्ष अनुज पुरी ने कहा, "सस्टेनेबिलिटी, आंशिक रूप से सरकार की अपनी पहलों और प्रतिबद्धताओं से और आंशिक रूप से ऐसे समाधानों की ओर कदम बढ़ाने से आती है।"
पुरी ने आगे कहा, "सभी रियल एस्टेट क्षेत्रों में सस्टेनेबिलिटी के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। हालांकि, सस्टेनेबल ऑफिस स्पेस की मांग ग्रीन घरों की मांग से कहीं अधिक है। बड़ी संख्या में बहुराष्ट्रीय कंपनियां और जीसीसी, अब केवल ग्रीन सर्टिफाइड ग्रेड ए ऑफिस स्पेस पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।"
इसके विपरीत, भारतीय आवास क्षेत्र में अभी भी ऐसा कोई अनिवार्य बदलाव नहीं आया है और यह देश में ग्रीन हाउसिंग स्टॉक की अपेक्षाकृत कमी से स्पष्ट होता है।
उन्होंने आगे कहा कि वाणिज्यिक अचल संपत्ति भारत में सस्टेनेबिलिटी में अग्रणी साबित हो रही है।