क्या देव दीपावली पर काशी में मां गंगा की गोद से झिलमिलाई आस्था?

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क्या देव दीपावली पर काशी में मां गंगा की गोद से झिलमिलाई आस्था?

सारांश

देव दीपावली के पावन पर्व पर वाराणसी में मां गंगा की गोद से झिलमिलाती आस्था का अद्भुत नजारा देखने को मिला। लाखों दीपों की रोशनी ने काशी के अर्धचंद्राकार घाटों को स्वर्ग के समान बना दिया। यह पर्व आस्था और संस्कृति का एक अनूठा संगम है, जिसमें श्रद्धालुओं की भीड़ और भव्यता ने एक नया रंग भर दिया।

Key Takeaways

  • देव दीपावली का पर्व मां गंगा के प्रति आस्था का प्रतीक है।
  • इस वर्ष 15 से 25 लाख दीप जलाए गए।
  • मुख्यमंत्री ने दीप जलाकर इस पर्व की शुरुआत की।
  • गंगा घाटों पर अद्भुत नजारे का आयोजन किया गया।
  • सुरक्षा के लिए विशेष उपाय किए गए थे।

वाराणसी, 5 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। देव दीपावली के इस विशेष पर्व पर बुधवार की संध्या को काशी के अर्धचंद्राकार गंगा घाटों पर शाश्वत ज्योति की लौ प्रज्वलित हुई। इस पावन मौके पर पूरा शहर दिव्यता और भव्यता के अद्भुत संगम में डूब गया। मां गंगा की गोद से निकलती आस्था की सीढ़ियों पर जलते लाखों दीपों की रोशनी ने एक ऐसा दृश्य प्रस्तुत किया, मानो स्वर्ग स्वयं धरती पर उतर आया हो।

गोधूलि बेला में उत्तरवाहिनी गंगा की लहरों पर दीपों की सुनहरी आभा झिलमिलाई। इस समय काशी की आत्मा एक बार फिर सनातन संस्कृति की उजास से अलौकित हो उठी। देव दीपावली का शुभारंभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नमो घाट पर पहला दीप जलाकर किया। उनके साथ पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह, राज्य मंत्री रविंद्र जायसवाल, विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी, जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्य, महापौर अशोक तिवारी ने भी दीप प्रज्वलित कर मां गंगा को नमन किया।

सभी विशिष्ट अतिथियों ने क्रूज पर सवार होकर मां गंगा की आरती के साथ घाटों पर सजी देव दीपावली के अद्भुत नजारे का अवलोकन किया। सीएम योगी को अपने बीच देखकर जनता ने हर-हर महादेव का जयघोष किया। मुख्यमंत्री ने हाथ हिलाकर काशी की जनता और पर्यटकों का अभिवादन किया। धर्म के साथ राष्ट्रीयता का संदेश देते हुए दशाश्वमेध घाट पर ‘अमर जवान ज्योति’ की अनुकृति स्थापित की गई।

दशाश्वमेध घाट पर कारगिल युद्ध के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। देव दीपावली महोत्सव को ऑपरेशन सिंदूर के नाम समर्पित किया गया, जिसमें देश की वीर माताओं के आंचल को नमन किया गया। सरकार द्वारा इस बार 10 लाख दीपों का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन जन सहभागिता से यह संख्या बढ़कर 15 से 25 लाख दीपों तक पहुंच गई। इन दीपों में एक लाख गाय के गोबर से निर्मित पर्यावरण अनुकूल दीप भी शामिल थे।

घाटों, तालाबों, कुंडों और देवालयों पर दीपों की शृंखला ने काशी को सुनहरी माला की तरह सजा दिया। परंपरा के साथ आधुनिकता का संगम चेत सिंह घाट पर दिखा, जहां 25 मिनट का थ्रीडी प्रोजेक्शन मैपिंग शो ‘काशी-कथा’ प्रस्तुत किया गया। इसमें भगवान शिव-पार्वती विवाह, भगवान विष्णु की चक्र पुष्करिणी, भगवान बुद्ध के उपदेश, कबीर-दास और तुलसीदास की भक्ति परंपरा तथा महामना मदान मोहन मालवीय द्वारा स्थापित काशी हिंदू विश्वविद्यालय तक की यात्रा का दृश्य जीवंत किया गया।

गंगा पार की रेत पर ‘कोरियोग्राफ और सिंक्रोनाइज ग्रीन क्रैकर्स शो’ ने पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। आसमान में गूंजती संगीतबद्ध आतिशबाजी और गंगा की लहरों पर प्रतिबिंबित रंगों ने दृश्य को और भी दिव्य बना दिया। दशाश्वमेध घाट की महाआरती में 21 अर्चक और 42 देव कन्याओं ने रिद्धि-सिद्धि के रूप में आरती की। 21 क्विंटल फूलों और 51 हजार दीपों से सजे घाट पर शंखनाद और घंटा-घड़ियालों की ध्वनि गूंजी और वातावरण में अद्भुत ऊर्जा का संचार हो गया।

इस अवसर पर अमर वीर योद्धाओं को ‘भगीरथ शौर्य सम्मान’ से सम्मानित किया गया। देव दीपावली पर काशी विश्वनाथ मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना हुई। बाबा के दरबार को फूलों और रोशनी से भव्य रूप में सजाया गया। धाम का पूरा परिसर दीपों की उजास से जगमगा उठा, जहां श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ा रहा।

श्रद्धालुओं की भीड़ और वीवीआईपी उपस्थिति को देखते हुए वाराणसी को नो-फ्लाई जोन घोषित किया गया। बिना अनुमति ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबंध रहा। घाटों पर एनडीआरएफ और जल पुलिस की टीमें नौका, आधुनिक उपकरणों और वाटर एम्बुलेंस के साथ तैनात रहीं। नदी मार्ग पर नावों के लिए लेन निर्धारण किया गया।

नाविकों को निर्धारित दिशा और सुरक्षा नियमों के पालन के निर्देश दिए गए। सड़कों पर यातायात, पार्किंग और प्रवेश-निकास की व्यवस्था पूरी तरह नियंत्रित रही। महिलाओं की सुरक्षा के लिए सादी वर्दी में महिला पुलिसकर्मियों, एंटी रोमियो स्क्वाड और क्यूआरटी टीमों को तैनात किया गया।

-- राष्ट्र प्रेस

विकेटी/एएसएच

Point of View

देव दीपावली का यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की गहराई और विविधता का भी प्रतीक है। वाराणसी की इस धार्मिक यात्रा में हर व्यक्ति की भागीदारी, इस पर्व को और भी विशेष बनाती है।
NationPress
05/11/2025

Frequently Asked Questions

देव दीपावली का महत्व क्या है?
देव दीपावली, भारतीय संस्कृति में आस्था और धार्मिकता का प्रतीक है। यह पर्व मां गंगा के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करता है।
इस बार कितने दीप जलाए गए?
इस वर्ष, जन सहभागिता के चलते 15 से 25 लाख दीप जलाए गए।
मुख्यमंत्री ने कब दीप जलाया?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नमो घाट पर देव दीपावली का शुभारंभ किया।
क्या विशेष आयोजन हुए?
इस अवसर पर थ्रीडी प्रोजेक्शन मैपिंग शो और गंगा आरती का आयोजन किया गया।
क्या सुरक्षा उपाय किए गए थे?
वाराणसी को नो-फ्लाई जोन घोषित किया गया और सुरक्षा बलों की तैनाती की गई।