क्या ढाका में भाजपा-राजद के बीच कांटे की टक्कर है?
सारांश
Key Takeaways
- ढाका सीट पर भाजपा और राजद के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा है।
- चुनाव 11 नवंबर को होंगे, नतीजे 14 नवंबर को।
- स्थानीय मुद्दे चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं।
- युवाओं का पलायन और स्थानीय अर्थव्यवस्था महत्वपूर्ण मुद्दे हैं।
- चुनाव में मतदान प्रतिशत 64.75% रहा था।
पूर्वी चंपारण, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। क्या बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में पूर्वी चंपारण की ढाका सीट एक बार फिर से राजनीतिक हलचल का केंद्र बनेगी? शिवहर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली इस सामान्य वर्ग की सीट पर 11 नवंबर को दूसरे चरण का मतदान होगा, जबकि नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।
ढाका, जो उत्तर बिहार का एक व्यस्त कस्बा है, भारत-नेपाल सीमा के निकट स्थित है। यह सिकरहना अनुमंडल का मुख्यालय होने के कारण स्थानीय व्यापार का केंद्र भी है। जिला मुख्यालय मोतिहारी से 28 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित ढाका, मेहसी, बैरगनिया और सुगौली से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। रक्सौल (28 किमी उत्तर-पश्चिम) एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र है, जो नेपाल के गौर, चंद्रनिगहापुर और बीरगंज से जोड़ता है।
कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था में धान, मक्का और गन्ना मुख्य फसलें हैं। स्थानीय बाजारों में ब्रांडेड सामान भी उपलब्ध हैं, लेकिन युवाओं का पलायन दिल्ली, पंजाब और महाराष्ट्र की ओर आम है। रेमिटेंस स्थानीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनती है।
चुनावी इतिहास में ढाका ने विविधता दिखाई है। प्रारंभ में कांग्रेस का दबदबा रहा, जिसने 1952 से 1985 तक 9 में से 6 चुनाव जीते। इसके बाद भाजपा और राजद के बीच सत्ता की अदला-बदली हुई। भाजपा ने 5 बार, राजद ने 2 बार, और अन्य दलों ने एक-एक बार जीत दर्ज की।
भाजपा के अवनीश कुमार सिंह ने 1990-2005 के बीच चार बार जीत हासिल की। राजद के मनोज कुमार सिंह ने 2000 में सफलता पाई। 2010 में निर्दलीय पवन कुमार जायसवाल ने जदयू के फैसल रहमान को हराया। 2015 में राजद के फैसल रहमान ने जायसवाल को हराया। 2020 में, जायसवाल ने भाजपा के टिकट पर राजद के रहमान को पराजित किया।
2025 में भाजपा ने पवन जायसवाल को फिर से मैदान में उतारा है। पवन, जो कि राम रहीम सेना के संस्थापक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, सामूहिक विवाह जैसी योजनाओं से लोकप्रिय हैं। राजद ने फैसल रहमान को टिकट दिया है, जो कि मोतिउर रहमान के पुत्र हैं।
स्थानीय मुद्दों में सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, पलायन, शिक्षा, स्वास्थ्य और सीमा सुरक्षा शामिल हैं। चंपारण सत्याग्रह के दौरान स्थानीय स्वतंत्रता सेनानी सियाराम ठाकुर का योगदान महत्वपूर्ण रहा है।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, क्षेत्र की कुल जनसंख्या 5,48,926 है, जिसमें 2,85,632 पुरुष और 2,63,294 महिलाएं शामिल हैं। यहां मतदाताओं की संख्या 3,26,275 है, जिनमें 1,72,073 पुरुष, 1,54,188 महिलाएं और 14 थर्ड जेंडर मतदाता हैं। 2020 में यहां मतदान का प्रतिशत 64.75 रहा था, जो कि ग्रामीण बहुल क्षेत्र (91 प्रतिशत ग्रामीण मतदाता) की सक्रियता को दर्शाता है।