क्या जागेश्वर धाम से चांदी का सिक्का ले जाने पर कुबेर करते हैं मालामाल?

Click to start listening
क्या जागेश्वर धाम से चांदी का सिक्का ले जाने पर कुबेर करते हैं मालामाल?

सारांश

जागेश्वर धाम एक प्राचीन मंदिर है, जहां चांदी का सिक्का ले जाकर श्रद्धालु धन्य हो जाते हैं। जानिए इस मंदिर की खासियत और धनतेरस पर यहां की पूजा का महत्व।

Key Takeaways

  • जागेश्वर धाम की मिट्टी से आर्थिक समृद्धि की मान्यता है।
  • धनतेरस पर यहाँ विशेष पूजा का आयोजन होता है।
  • चांदी का सिक्का लेकर जाना शुभ माना जाता है।
  • मंदिर का निर्माण पुराना है और इसके बारे में मतभेद हैं।
  • भक्त यहाँ आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए आते हैं।

नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पूरे भारत में 18 अक्टूबर को कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन मुख्य रूप से भगवान कुबेर और मां लक्ष्मी की पूजा का महत्व है। धनतेरस पर नमक, झाड़ू, साबुत धनिया और झाड़ू खरीदना शुभ माना जाता है, लेकिन हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां केवल सिक्का ले जाने से श्रद्धालु मालामाल हो जाते हैं।

उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित जागेश्वर धाम नाम का मंदिर है। इस मंदिर की मिट्टी घर ले जाने पर बरकत आने की मान्यता है।

जागेश्वर धाम में कुबेर भगवान एकमुखी शिवलिंग के साथ विराजमान हैं। यहाँ भगवान शिव और कुबेर दोनों की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि यदि किसी के कारोबार में रुकावट आ गई है तो इस मंदिर के गर्भगृह की मिट्टी लेकर अपने तिजोरी में रखने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और घर में धन-धान्य बना रहता है। भक्त यहां दूर-दूर से मिट्टी लेने आते हैं।

मंदिर की एक और मान्यता यह है कि आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए या कर्ज से मुक्ति पाने के लिए चांदी के सिक्के का उपयोग किया जाता है। श्रद्धालु इस सिक्के को लेकर मंदिर में जाते हैं, वहां मंत्र पढ़कर और सिक्के की पूजा करके उसे पीले कपड़े में बांधकर अपने घर ले जाते हैं, जिससे आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है। मनोकामना पूरी करने के लिए यहां कुबेर भगवान को खीर अर्पित की जाती है।

दिवाली और धनतेरस के अवसर पर मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होता है। धनतेरस पर एकमुखी शिवलिंग के साथ कुबेर के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। यहाँ की मिट्टी ले जाने के लिए भक्तों में होड़ लगी रहती है।

मंदिर की संरचना बहुत पुरानी है और इसके निर्माण को लेकर भी मतभेद हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह मंदिर 7वीं शताब्दी में बना, जबकि कुछ का मानना है कि यह 9वीं और 14वीं शताब्दी के बीच स्थापित हुआ। मंदिर के सही निर्माण की जानकारी उपलब्ध नहीं है। मंदिर प्रांगण में देवी-देवताओं के कई अन्य मंदिर भी हैं।

Point of View

बल्कि यह आर्थिक समृद्धि के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। इसे श्रद्धालुओं द्वारा आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए एक आस्था का केंद्र माना जाता है। यह मंदिर भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक है, जो लोगों को एकजुट करता है।
NationPress
04/10/2025

Frequently Asked Questions

जागेश्वर धाम कहाँ स्थित है?
जागेश्वर धाम उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित है।
धनतेरस पर यहाँ क्या खास होता है?
धनतेरस पर यहाँ विशेष पूजा-अर्चना होती है और भक्त कुबेर भगवान के दर्शन के लिए आते हैं।
क्या चांदी का सिक्का लेकर जाना जरूरी है?
हाँ, चांदी का सिक्का लेकर जाना आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए शुभ माना जाता है।
क्या यहाँ की मिट्टी लाना लाभकारी है?
जी हाँ, इस मंदिर की मिट्टी को घर लाने से बरकत आने की मान्यता है।
मंदिर का निर्माण कब हुआ था?
मंदिर का निर्माण 7वीं, 9वीं या 14वीं शताब्दी में हुआ था, इसके बारे में मतभेद हैं।