क्या 2025 में धार्मिक स्थलों पर चीलों और सफेद उल्लू ने मचाई धूम?
सारांश
Key Takeaways
- महाकुंभ मेले में भगदड़ की घटना हुई।
- महाकालेश्वर मंदिर में आग लगने से हादसा टला।
- वैष्णो देवी मंदिर में भूस्खलन से तीर्थ यात्रियों की जान गई।
- काशी विश्वनाथ मंदिर में सफेद उल्लू का देखा जाना शुभ है।
- जगन्नाथ मंदिर में चीलों का मंडराना अशुभ है।
नई दिल्ली, २५ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। आस्था और संस्कृति का प्रतीक हमारे देश में हर वर्ष लोग धार्मिक यात्रा पर निकलते हैं। साल २०२५ की शुरुआत से ही धार्मिक स्थलों की चर्चा ने जोर पकड़ा। कहीं दुर्घटनाएं तो कहीं अचंभित करने वाली घटनाएं देखने को मिलीं। आज हम साल की शुरुआत से ही चर्चा में रहे धार्मिक स्थलों के बारे में जानकारी देंगे।
साल की शुरुआत महाकुंभ मेले से हुई, जहां करोड़ों श्रद्धालु स्नान और पूजा के लिए आए। लेकिन ३ फरवरी को मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ ने सबको दुखी कर दिया। हालांकि, योगी सरकार ने भीड़ प्रबंधन के लिए ठोस कदम उठाए, जिसके चलते ५६ करोड़ से अधिक लोगों ने पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाई।
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में ५ मई को एक बड़ा हादसा होते-होते बच गया। मंदिर के कार्यालय में रखी बैटरी में आग लग गई, जिससे कार्यालय धुआं-धुआं हो गया। गनीमत रही कि समय पर आग पर काबू पा लिया गया और कोई हताहत नहीं हुआ। आग के समय के फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए।
वैष्णो देवी मंदिर में भूस्खलन की घटना को भुलाया नहीं जा सकता, जहां खराब मौसम से कई तीर्थ यात्रियों की जान चली गई। यह घटना २६ अगस्त को हुई, जब तेज बारिश के कारण एक बड़ी चट्टान यात्रा के मार्ग पर आ गई। इसके बाद कुछ समय के लिए यात्रा रोक दी गई और जम्मू कश्मीर में आई बाढ़ के कारण यात्रा आज भी सुचारू रूप से नहीं चल पा रही है।
अगस्त के महीने में काशी विश्वनाथ मंदिर में एक दुर्लभ चमत्कार देखा गया। यहां तीन दिन तक सफेद उल्लू को मंदिर के शिखर पर देखा गया। सनातन धर्म में मंदिर के शिखर पर सफेद उल्लू दिखना शुभ माना जाता है क्योंकि यह मां लक्ष्मी का वाहन है। इसे देखने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु आए।
पुरी का जगन्नाथ मंदिर भी शुभ और अशुभ संकेतों के बीच में था। पहले अप्रैल में और फिर सितंबर में मंदिर के शिखर पर चीलें मंडराती हुई देखी गईं। ज्योतिषियों के अनुसार, मंदिर के शिखर पर चीलों का मंडराना शुभ संकेत नहीं है। यह साल में दो बार देखा गया।
साल के अंत में अयोध्या राम मंदिर को ध्वजा अर्पित कर इसे पूर्ण किया गया। २५ नवंबर को पीएम मोदी ने मंदिर पर ध्वजा फहराई, जो हिंदू धर्म के अनुसार आवश्यक है।