क्या डीएमएफटी घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ने 28 ठिकानों पर छापा मारा?

सारांश
Key Takeaways
- डीएमएफटी घोटाला में प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई महत्वपूर्ण है।
- छापेमारी में 4 करोड़ की नकदी और 10 किलोग्राम चांदी बरामद हुई।
- डीएमएफटी ट्रस्ट का उद्देश्य खनन से प्रभावित लोगों की सहायता करना है।
- भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाना आवश्यक है।
- सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से घोटाले का दायरा बढ़ा है।
रायपुर, 6 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने छत्तीसगढ़ में एक महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए 28 स्थानों पर छापे मारे। इन स्थानों में छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम लिमिटेड (बीज निगम) से जुड़े ठेकेदारों, विक्रेताओं और उनके संपर्ककर्ताओं, बिचौलियों के आवास और कार्यालय शामिल हैं। ईडी ने इस छापेमारी में 4 करोड़ की नकदी, 10 किलोग्राम चांदी के बुलियन के साथ-साथ अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज एवं डिजिटल उपकरणों को जब्त किया।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के रायपुर कार्यालय ने पीएमएलए 2002 के प्रावधानों के तहत डीएमएफटी घोटाले से जुड़े छत्तीसगढ़ में 28 स्थानों पर सर्च अभियान चलाया। छत्तीसगढ़ पुलिस ने डीएमएफटी निधियों के कथित दुरुपयोग के लिए विक्रेताओं, ठेकेदारों और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ आईपीसी, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की थी। इसी आधार पर ईडी ने अपनी जांच आरंभ की।
डीएमएफटी एक ट्रस्ट है, जो खनिकों द्वारा वित्त पोषित है और इसका उद्देश्य छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में खनन संबंधित परियोजनाओं और गतिविधियों से प्रभावित लोगों के लाभ के लिए कार्य करना है। हालांकि, कुछ सरकारी अधिकारियों ने विक्रेताओं, ठेकेदारों और बिचौलियों के साथ मिलकर इसका दुरुपयोग किया और भारी कमीशन एवं रिश्वत के बदले अवैध निविदाओं का आवंटन प्राप्त किया।
ईडी की जांच में यह सामने आया है कि छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के डीएमएफटी फंड का लगभग 350 करोड़ रुपए का उपयोग बीज निगम के माध्यम से किया गया। बीज निगम के जरिए विक्रेताओं और ठेकेदारों को कृषि उपकरण, पल्वराइजर, मिनी दाल मिल, बीज आदि की आपूर्ति के लिए कार्य आवंटित किए गए थे, और अनुबंध मूल्य का 60 प्रतिशत तक कमीशन रिश्वत के रूप में उनसे लिया गया।
इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय ने 21.47 करोड़ रुपए की संपत्ति अस्थायी रूप से कुर्क की थी, जिसे न्यायाधिकरण द्वारा भी पुष्टि की गई थी। रायपुर स्थित विशेष पीएमएलए न्यायालय में एक अभियोजन शिकायत दर्ज की गई है, जिसमें 16 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इसके अलावा, इस मामले में तीन लोगों (रानू साहू, आईएएस, माया वारियर, राज्य सेवा अधिकारी और मनोज कुमार द्विवेदी) को गिरफ्तार किया गया है।