क्या अखिलेश यादव कांशीराम का सम्मान करते हैं, झूठे इल्जाम लगाना गलत है: एसटी हसन?

सारांश
Key Takeaways
- अखिलेश यादव का कांशीराम के प्रति सम्मान।
- सपा ने सामाजिक न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
- मायावती के आरोपों का राजनीतिक उद्देश्य।
- दलितों और मुस्लिमों के कल्याण की योजनाएं।
- राजनीति में झूठे आरोपों का चलन।
मुरादाबाद, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती द्वारा समाजवादी पार्टी (सपा) पर किए गए तीखे आरोपों का पूर्व सपा सांसद डॉ. एसटी हसन ने जोरदार जवाब दिया है।
मायावती ने सपा पर कांशीराम के योगदान को नजरअंदाज करने और उनकी विरासत का अपमान करने का आरोप लगाया था। इस पर डॉ. हसन ने कहा कि मायावती का यह बयान पूरी तरह से गलतफहमी और निराधार इल्जाम पर आधारित है। सपा सरकार में हर चीज का ऑडिट हुआ और एक-एक पाई का हिसाब रखा गया। मैं मायावती को सलाह देता हूं कि वह बिना सबूत के ऐसे आरोप न लगाएं।
डॉ. हसन ने कहा, “अखिलेश यादव कांशीराम का बहुत सम्मान करते हैं। सपा सरकार में पार्कों का रखरखाव भी बेहतर ढंग से किया गया। सियासत में झूठे इल्जाम लगाना उचित नहीं है। मायावती के आरोपों में कोई दम नहीं है। सपा ने हमेशा सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के लिए काम किया है।”
मायावती द्वारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की तारीफ करने पर डॉ. हसन ने तंज कसते हुए कहा, “यह तो सभी जानते हैं कि बसपा भाजपा की बी-टीम है। मायावती इस समय इसलिए भाजपा की तारीफ कर रही हैं क्योंकि उनकी पार्टी को भाजपा ने ऐसी स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है, जहां उनके पास तारीफ करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।”
उन्होंने मायावती को उनके पुराने बयानों की भी याद दिलाई, जब वह तिलक, तराजू और तलवार जैसे बयानों के लिए जानी जाती थीं।
डॉ. हसन ने पीडीए का जिक्र करते हुए कहा कि सपा ने हमेशा पिछड़े, दलित और मुस्लिम समुदायों का ख्याल रखा है। सपा सरकार में दलितों और मुस्लिमों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई गईं, जबकि बसपा और भाजपा सरकारों में मुस्लिम समुदाय को नजरअंदाज किया गया।
उन्होंने कहा, “अखिलेश यादव ने दलितों के लिए बहुत कुछ किया। आज की तरह नहीं कि दलित गांवों में घोड़े पर चढ़कर अपनी बारात भी नहीं ले जा सकते। गांवों में दलितों की स्थिति किसी से छिपी नहीं है।”
मायावती के सपा पर हमलावर रुख को लेकर डॉ. हसन ने इसे एक सुनियोजित रणनीति करार दिया।
उन्होंने कहा, “मायावती मेरी नेता रही हैं और देश की बड़ी नेता हैं, लेकिन कुछ मजबूरियों के चलते उन्हें यह सब करना पड़ रहा है। हर बात प्रेस में नहीं कही जा सकती। मायावती के आरोप राजनीतिक रूप से प्रेरित लगते हैं। मैं मायावती से अपील करता हूं कि वो बिना सबूत के आरोप लगाने से बचें और समाज को एकजुट करने में योगदान दें।”