क्या चेन्नई से 6.26 करोड़ के लाल चंदन की तस्करी नाकाम हुई?
सारांश
Key Takeaways
- डीआरआई ने चेन्नई से 6.26 करोड़ का लाल चंदन पकड़ा।
- चार तस्करों को गिरफ्तार किया गया।
- लाल चंदन की तस्करी अवैध है।
- डीआरआई की कार्रवाई महत्वपूर्ण है।
- तस्करी रोकने के लिए सतर्कता जरूरी है।
नई दिल्ली, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) ने चेन्नई से अवैध तरीके से लाल चंदन की एक बड़ी खेप को बाहर भेजने के प्रयास को विफल करते हुए चार तस्करों को गिरफ्तार किया है। अधिकारियों के अनुसार, यह लाल चंदन लगभग 6.26 करोड़ रुपए का था। चेन्नई के विभिन्न गोदामों से कुल 15 मीट्रिक टन लाल चंदन जब्त किया गया।
गिरफ्तार किए गए चार लोगों में मुख्य साजिशकर्ता, उसके दो सहयोगी जो लाल चंदन की पैकिंग और ट्रांसपोर्टेशन में शामिल थे, और सप्लायर के लिए एक बिचौलिया शामिल हैं।
लाल चंदन को सीआईटीईएस की अपेंडिक्स II में और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-IV में सूचीबद्ध किया गया है। इसे एक्सपोर्ट करना फॉरेन ट्रेड पॉलिसी के तहत प्रतिबंधित या नियंत्रित है।
डीआरआई के अधिकारियों को खुफिया सूचना मिली थी कि चेन्नई और इसके आसपास के गोदामों में लाल चंदन को छुपा कर रखा गया है और इसे दिल्ली के रास्ते अवैध तरीके से बाहर भेजा जा रहा है। इस सूचना के आधार पर, डीआरआई अधिकारियों ने 9 से 11 दिसंबर के बीच तीन ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया। इस दौरान 169 लाल चंदन की ग्रेड ए लॉग्स, जिनका वजन 5.55 टन था, जब्त किए गए। इनमें से 76 लॉग्स को सफेद एचडीपीई पैकिंग मटीरियल में लपेटकर ट्रक में लादने के लिए तैयार किया गया था और इसे घरेलू सामान के नाम से छुपाया गया था।
अन्य दो ठिकानों से 9.55 टन लाल चंदन की लॉग्स, जड़ें और फर्नीचर जब्त किए गए। अवैध सामान और उसके ढकने के लिए रखे गए सामान दोनों को कस्टम एक्ट, 1962 के तहत जब्त किया गया।
पिछले हफ्ते ही डीआरआई ने महाराष्ट्र के वर्धा में एक गुप्त मेफेड्रोन निर्माण फैक्ट्री को भी पकड़ा था। इस ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन हिंटरलैंड ब्रू रखा गया था। 7-8 दिसंबर को चलाए गए इस अभियान में 128 किलो मेफेड्रोन जब्त किया गया, जिसकी कीमत लगभग 192 करोड़ रुपए आंकी गई। इसके अलावा 245 किलो प्रीकर्सर केमिकल्स, कच्चा माल और प्रोसेसिंग सेटअप भी जब्त किया गया।
डीआरआई अधिकारियों ने विशेष खुफिया सूचना के आधार पर पहले इलाके की निगरानी की और फिर वर्धा से लगभग 60 किलोमीटर दूर झाड़ियों से ढके क्षेत्र में तलाशी अभियान चलाया। इस फैक्ट्री के तीन ऑपरेटरों को पकड़ा गया, जिनमें मुख्य साजिशकर्ता, जो वित्तपोषक और केमिस्ट भी था, और उसके दो सहयोगी शामिल थे।