क्या ईडी के समन की अवहेलना से जुड़े केस में सीएम हेमंत सोरेन की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई होगी?

Key Takeaways
- ईडी के समन की अवहेलना से संबंधित मामला सीएम हेमंत सोरेन के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- कोर्ट ने सुनवाई के लिए समय दिया है, जो उनके भविष्य पर असर डाल सकता है।
- समनों का अनुपालन न करने के आरोप गंभीर हैं।
- यह मामला राज्य की राजनीति में गर्माहट ला सकता है।
- सोरेन ने अदालत में अपनी स्थिति को स्पष्ट किया है।
रांची, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। ईडी के समन की अवहेलना से जुड़े मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रांची के एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रही कार्यवाही को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
गुरुवार को जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की बेंच में सोरेन की याचिका पर सुनवाई हुई। उनके अधिवक्ता ने बहस के लिए समय मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई के लिए आठ सप्ताह बाद की तिथि तय की।
ईडी ने सीजेएम कोर्ट में हेमंत सोरेन के खिलाफ 19 फरवरी, 2024 को शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें एजेंसी ने बताया कि रांची के बड़गाईं अंचल से संबंधित जमीन घोटाले के मामले में सोरेन को पहली बार 14 अगस्त 2023 को हाजिर होने के लिए समन भेजा गया था।
इसके बाद उन्हें इसी वर्ष 19 अगस्त, 1 सितंबर, 17 सितंबर, 26 सितंबर, 11 दिसंबर, 29 दिसंबर को और 2024 में 13 जनवरी, 22 जनवरी, 27 जनवरी को भी समन जारी किए गए थे। इस प्रकार उन्हें कुल दस समन भेजे गए, लेकिन वह केवल दो समन पर उपस्थित हुए। यह पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) की धारा 63 और आईपीसी की धारा 174 के तहत गैरकानूनी है।
कोर्ट ने ईडी की ओर से दाखिल शिकायत पर सुनवाई के बाद 4 मार्च, 2024 को संज्ञान लिया था। इस मामले को बाद में एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया।
हेमंत सोरेन ने कोर्ट के इस मामले में संज्ञान लेने को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि जिन समनों पर वह हाजिर नहीं हुए, उनका जवाब उन्होंने लिखित रूप में प्रस्तुत कर दिया था। ये समन समाप्त होने के बाद नए समन पर वह ईडी के समक्ष हाजिर हुए थे और इसका अनुपालन किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें दुर्भावना से प्रेरित होकर बार-बार समन भेजा गया। इसलिए इस शिकायत को निरस्त किया जाए।
सोरेन की ओर से उनके अधिवक्ताओं प्रदीप चंद्रा, दीपांकर रॉय और श्रेय मिश्रा ने पक्ष रखा।