क्या ईडी ने दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और देहरादून में साइबर फ्रॉड के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की?

सारांश
Key Takeaways
- ईडी ने साइबर धोखाधड़ी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है।
- साइबर ठगों ने पुलिस अधिकारियों का रूप धारण किया था।
- धोखाधड़ी से 260 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
- जांच में बिटकॉइन का उपयोग किया गया है।
- सतर्क रहने की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 6 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। बुधवार की सुबह, ईडी ने दिल्ली-एनसीआर और उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 11 ठिकानों पर छापेमारी की। साइबर ठगों ने पुलिस या जांच अधिकारियों का रूप धारण करके कई विदेशी और भारतीय नागरिकों को ठगा था।
यह छापे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत चल रही जांच का हिस्सा हैं। ईडी ने बुधवार को दिल्ली के साथ-साथ नोएडा और गुरुग्राम में भी छापे मारे।
प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि ठगों ने भारतीय और विदेशी नागरिकों के साथ धोखाधड़ी की, जब उन्होंने खुद को पुलिस या जांच एजेंसियों के अधिकारी के रूप में पेश किया। इन लोगों को गिरफ्तार करने की धमकी देकर उनसे बड़ी धनराशि वसूल की गई। इसके अलावा, आरोपियों ने खुद को माइक्रोसॉफ्ट या अमेजन की तकनीकी सहायता टीम का सदस्य बताकर भी धोखाधड़ी की।
पीड़ितों की धनराशि को क्रिप्टोकरेंसी में बदला गया और फिर आरोपियों के पास स्थानांतरित किया गया। जांच में यह भी सामने आया कि आरोपियों ने इस तरह से लगभग 260 करोड़ रुपए की राशि बिटकॉइन के रूप में विभिन्न क्रिप्टो वॉलेट्स में जमा की। इन बिटकॉइन्स को बाद में यूएसडीटी (क्रिप्टो टोकन) में बदलकर नकद में परिवर्तित किया गया। यह पूरा लेनदेन यूएई स्थित हवाला ऑपरेटरों और अन्य माध्यमों से किया गया।
फिलहाल, ईडी की ओर से मामले की जांच जारी है और इन आर्थिक अपराधों में संलिप्त व्यक्तियों की पहचान कर कानूनी कार्रवाई की जा रही है।