क्या ईडी ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी को गिरफ्तार किया?
सारांश
Key Takeaways
- ईडी ने निरंजन दास को गिरफ्तार किया।
- 2500 करोड़ रुपए का नुकसान छत्तीसगढ़ को हुआ।
- जांच में कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों की पहचान हुई है।
- निरंजन दास ने कर्तव्यों का उल्लंघन किया।
- जांच अभी भी जारी है।
रायपुर, 23 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के मामले में निरंजन दास को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत की गई।
निरंजन दास को स्पेशल कोर्ट रायपुर के समक्ष पेश किया गया, जहां कोर्ट ने उसे हिरासत में भेजने का आदेश दिया।
ईडी ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की थी, जिसमें आईपीसी, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया था।
पुलिस जांच में पता चला है कि इस घोटाले से राज्य को भारी वित्तीय नुकसान हुआ और 2500 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध कमाई की गई, जिसमें कई लाभार्थी सरकारी खजाने को लूटने में शामिल थे।
ईडी की जांच में यह भी सामने आया कि निरंजन दास को लगभग 18 करोड़ रुपये की अवैध कमाई हुई थी। डिजिटल रिकॉर्ड, जब्त दस्तावेज और गवाहों के बयान से पुष्टि हुई कि वह शराब सिंडिकेट का एक सक्रिय सदस्य था। जांच में यह पता चला कि निरंजन दास को एक्साइज कमिश्नर और एक्साइज विभाग का अतिरिक्त प्रभार शराब घोटाले को अंजाम देने के लिए दिया गया था।
जांच में यह भी सामने आया कि निरंजन दास ने अपने कर्तव्यों का उल्लंघन किया और सिंडिकेट को 50 लाख रुपए के मासिक भुगतान के बदले बिना किसी रुकावट के काम करने दिया। वह अधिकारियों को अवैध शराब की बिक्री को बढ़ाने का निर्देश देता था, जिससे राज्य के संसाधनों की लूट में आसानी हुई।
ईडी ने इस मामले में पहले ही कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें निरंजन दास के अलावा, पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी (आईटीएस), पूर्व मंत्री और विधायक कवासी लखमा, पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे चैतन्य बघेल और सौम्या चौरसिया शामिल हैं। जांच अभी भी जारी है क्योंकि ईडी और भी वित्तीय लेन-देन का पता लगा रही है और इस घोटाले के अन्य संभावित लाभार्थियों की पहचान कर रही है।