क्या ईडी ने जालंधर में साइकोट्रोपिक दवाओं की अवैध बिक्री के मामले में अभिषेक कुमार को गिरफ्तार किया?
सारांश
Key Takeaways
- साइकोट्रोपिक दवाओं की अवैध बिक्री एक गंभीर अपराध है।
- अभिषेक कुमार ने सोलह ठिकानों पर छापेमारी के दौरान कई दस्तावेज़ और सबूत छोड़े।
- धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत कार्रवाई की गई है।
- ईडी की जांच में अवैध लेनदेन के कई सबूत मिले हैं।
- इस मामले में और भी खुलासे हो सकते हैं।
नई दिल्ली, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय के जालंधर क्षेत्रीय कार्यालय ने साइकोट्रोपिक दवाओं की अवैध बिक्री से अर्जित धन की जांच करते हुए अभिषेक कुमार को गिरफ्तार किया है।
जांच में यह स्पष्ट हुआ कि अभिषेक कुमार, ट्रामाडोल और अल्प्राजोलम जैसी प्रतिबंधित दवाओं की अवैध आपूर्ति और बिक्री करके बड़ी मात्रा में काली कमाई कर रहा था। इसी आधार पर उसे नौ दिसंबर को धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार करने के बाद ईडी ने उसे एसएएस नगर स्थित विशेष अदालत में पेश किया, जहां अदालत ने उसे छह दिन की ईडी कस्टडी में भेज दिया है।
यह मामला पंजाब पुलिस की उस प्राथमिकी से आरंभ हुआ था जिसमें मादक द्रव्यों और मन:प्रभावी गोलियों की बड़े पैमाने पर अंतरराज्यीय तस्करी के आरोप थे। इसी प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने धन शोधन की जांच शुरू की। इस दौरान अभिषेक कुमार और उससे संबंधित अन्य लोगों के कुल सोलह ठिकानों पर छापेमारी की गई, जहां से कई दस्तावेज़ और रिकॉर्ड जब्त किए गए। इन दस्तावेज़ों में अवैध लेनदेन और नकदी कमाई के कई प्रमाण प्राप्त हुए हैं।
ईडी की जांच में यह भी सामने आया कि दवा निर्माण कंपनियों और थोक विक्रेताओं से अवैध रूप से बड़ी मात्रा में मन:प्रभावी दवाएं खरीदी जाती थीं। इनमें कई बड़ी कंपनियां शामिल थीं, जिनसे दवाओं की खरीद होती थी। ये दवाएं बाद में ड्रग तस्करों के माध्यम से ब्लैक मार्केट में बेची जाती थीं, जहां उनकी कीमतें असामान्य रूप से अधिक थीं। अभिषेक कुमार अपनी फर्म, श्री श्याम मेडिकल एजेंसी के माध्यम से मन:प्रभावी गोलियों का बड़ा स्टॉक खरीदता था। जांच में यह पाया गया कि उसने खरीदी गई दवाओं का लगभग पचहत्तर प्रतिशत हिस्सा अवैध रूप से बेच दिया था, जिसका कोई रिकॉर्ड खातों में नहीं था।
अवैध रूप से बेचे गए स्टॉक और उसके लेनदेन को छिपाने के लिए बिलों में हेराफेरी की गई। कानूनी बिलों में दवाओं के बक्सों की संख्या बढ़ाकर दिखाई गई, ताकि अवैध बिक्री को कानूनी बिक्री का रूप दिया जा सके। इस प्रकार की हेराफेरी के जरिए करीब तीन करोड़ पचहत्तर लाख रुपये नकद कमाए गए। ईडी ने जानकारी दी है कि मामले की जांच अभी जारी है और आने वाले दिनों में और भी खुलासे हो सकते हैं। एजेंसी ने कहा कि इस कड़ी में शामिल किसी भी व्यक्ति या संस्था पर कार्रवाई से पीछे नहीं हटेगी।